Saturday, 7 October 2017

क्या आप जानते हैं ये सात कानून, इसके तहत मर्डर करने पर भी नहीं होगी सजा

हाल ही में हरियाणा के डीजीपी डॉ. केपी सिंह ने कहा था कि यदि कोई व्यक्ति देखता है कि कोई किसी महिला को परेशान करता है, तो उसे या उस महिला को उसकी हत्या कर देनी चाहिए। हत्यारे के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। यह खबर जंगल की आग की तरह फैल गई और डीजीपी को सम्मान की नजरों से नहीं देखा गया, क्योंकि वे सीधे हत्या करने के लिए उकसा रहे थे। मगर, वास्तव में वे उन परिस्थितियों के बारे में बता रहे थे, जिनके तहत कोई व्यक्ति किसी की हत्या कर सकता है। इस तरह के मामलों में भारतीय दंड संहिता के तहत कोई सजा नहीं दी जाती है। जानते हैं किन सात परिस्थितियों में किसी को भी हत्या करने का अधिकार है।

आत्मरक्षा में हत्या
आईपीसी की धारा 103 और 104 के तहत आत्मरक्षा में की गई हत्या को हत्या के रूप में नहीं देखा जाता है। खुद को बचाने के किसी भी कार्य को आत्मरक्षा के रूप में देखा जाता है और कानून समझता है कि अभियुक्त का हत्या करने का कोई इरादा नहीं था, उसने जो किया वह खुद की सुरक्षा के लिए था। यदि आप किसी व्यक्ति के साथ हैं और आपको लगता है कि यह व्यक्ति आपको नुकसान पहुंचा सकता है या फिर वह आपकी हत्या भी कर सकता है, तो उस मामले में आप आत्मरक्षा के लिए उसकी हत्या कर सकते हैं। हालांकि, इसे कोर्ट में साबित करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन बहुत से लोग इस कानून के माध्यम से बरी हुए हैं।

अपहरण की कोशिश के दौरान हत्या
अगर कोई गिरोह या एक व्यक्ति किसी का अपहरण करने की कोशिश कर रहा है, तो पीड़ित को खुद का बचाव करने का अधिकार है। वह अपने अपहर्ताओं पर हमला कर सकता है। उस हमले में अगर गिरोह का सदस्य या हमलावर मारा जाता है, तो भी उसे कोर्ट हत्या नहीं मानेगा।

एसिड हमले से बचने के लिए
यदि किसी महिला को संदेह है कि कोई व्यक्ति उस पर घातक हमला जैसे एसिड फेंकने जा रहा है, तो महिला को खुद का बचाव करने का अधिकार है। हमले में अगर अपराधी की मृत्यु हो जाती है, तो उसे हत्या नहीं माना जाता है।

संपत्ति की सुरक्षा के लिए हत्या
अगर किसी व्यक्ति को यह डर है कि कोई व्यक्ति या व्यक्ति का समूह उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचा सकता है या जानबूझकर उसे छीन सकता है, तो उसे उसकी संपत्ति की सुरक्षा का अधिकार है। अगर कोई हमला हुआ होता है, तो संपत्ति के मालिक द्वारा की गई हत्या को हत्या नहीं माना जाता है। कोई व्यक्ति दूसरों की संपत्ति की रक्षा का भी हकदार है।

About Author

0 comments:

Post a Comment

Popular Posts

Recent Posts

Unordered List

Text Widget

Blog Archive

Search This Blog

BTemplates.com