बॉलीवुड के दिग्गज और हैंडसम अभिनेता विनोद खन्ना का 6 अक्टूबर को जन्मदिन है. आज भले ही वह हमारे बीच नहीं हैं लेकिन अपनी फिल्मों के जरिए वह सदा अमर रहेंगे. उनका ब्लैडर कैंसर की वजह से निधन हो गया था. उनके निधन से पहले उनकी एक फोटो इंटरनेट पर काफी वायरल हुई थी. जिसने सभी को सकते में डाल दिया था.
एक जमाने में बॉलीवुड के सबसे हैंडसम एक्टर कहे जाने वाले विनोद खन्ना की यह हालत देखकर सभी हैरान हो गए थे. फिल्म इंडस्ट्री से लेकर उनके फैंस उन्हें इस हालत में देखकर असमंजस में पड़ गए थे. फोटो में वह काफी बीमार और दुबले-पतले दिख रहे थे. उन्हें शरीर में पानी की कमी की वजह से अस्पताल में दाखिल किया गया था.
ये थी विनोद खन्ना की आखिरी ख्वाहिश, जो रह गई अधूरी
विनोद खन्ना की निजी जिंदगी हमेशा सुर्खियों में रही है. चाहे वह घर छोड़कर ओशो की शरण में जाना हो या अपने से 16 साल छोटी कविता से दूसरी शादी करना हो. उन्होंने 1971 में अपनी बचपन की दोस्त गीतांजलि से पहली शादी की थी. उनके दो बेटे अक्षय और राहुल खन्ना हैं. विनोद की शादीशुदा जिंदगी में तब भूचाल आया जब उन्होंने परिवार को छोड़कर संन्यास लेने का फैसला किया.
विनोद खन्ना की निजी जिंदगी हमेशा सुर्खियों में रही है. चाहे वह घर छोड़कर ओशो की शरण में जाना हो या अपने से 16 साल छोटी कविता से दूसरी शादी करना हो. उन्होंने 1971 में अपनी बचपन की दोस्त गीतांजलि से पहली शादी की थी. उनके दो बेटे अक्षय और राहुल खन्ना हैं. विनोद की शादीशुदा जिंदगी में तब भूचाल आया जब उन्होंने परिवार को छोड़कर संन्यास लेने का फैसला किया.
Vinod Khanna with his first wife Geetanjali
वह परिवार को छोड़कर वह अपने आध्यात्मिक गुरु ओशो की शरण में चले गए. वहां आश्रम में इस सुपरस्टार ने बर्तन धोने और माली का काम किया. विनोद के अचानक इस तरह से चले जाने के कारण उनकी पत्नी गीतांजली बहुत नाराज हुईं.यूं एकदम परिवार को छोड़ संन्यास लेने के चलते गीतांजलि ने तलाक लेने का फैसला लिया.
Vinod Khanna and Osho
जिसके बाद विनोद की मुलाकात कविता से हुई. एक साल की मेल मुलाकात के बाद विनोद ने एक और चौंकानेवाला ऐलान किया कि वो अपने से 16 साल छोटी कविता से शादी करने जा रहे हैं. 1990 में विनोद ने कविता शादी की. दोनों के एक बेटा साक्षी और बेटी श्रद्धा हैं.
Vinod Khanna with his second wife Kavita
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Feeroz Khan and Vinod Khanna
फिल्मों के प्रति अपने प्यार को वह ज्यादा समय के लिए रोक ना सकें. उन्होंने 1987 में 'इंसाफ' फिल्म से वापसी की. 4-5 साल तक हीरो बनने के बाद उन्होंने धीरे-धीरे चरित्र भूमिकाओं की ओर रुख किया. वैसे कहा जाता है कि अगर विनोद खन्ना ओशो के आश्रम न जाते तो आने वाले वक्त में वह अमिताभ बच्चन के स्टारडम को फीका कर देते.
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