भारत के तेज गेंदबाज आशीष नेहरा 1 नवंबर को 2017 के बाद क्रिकेट से संन्यास ले लेंगे। आशीष नेहरा ने रिटायरमेंट की घोषणा के बाद हम आपके लिए लेकर आए हैं नेहरा के करियर के सुनहरे पलों की यादें। 14 साल पहले साल 2003 में अंडर 16 के एक मैच में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए आशीष नेहरा ने विराट कोहली को सम्मानित किया था। नेहरा ने 1999 में टेस्ट मैच से अपने करियर की शुरूआत की थी। नेहरा अपने अजीब एक्शन के लिए भी चर्चित रहे, जिसकी वजह से उन्हें चोट भी लगती रही
नेहरा को 2003 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के खिलाफ मैच में 23 रन देकर छह विकेट चटकाने के लिए याद किया जाता है। तबियत खराब होने के बावजूद इस मैच में खेले थे। इसके अलावा नेहरा ने 17 टेस्ट, 120 वनडे और 26 टी20 मैच खेले हैं। उन्होंने टेस्ट मैचों में 44, वनडे में 157 और टी-20 में 34 विकेट चटकाए हैं।
14 साल पहले साल 2003 में अंडर 16 के एक मैच में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए आशीष नेहरा ने विराट कोहली को सम्मानित किया था। उस वक्त विराट कोहली 15 साल के बच्चे थे और नेहरा टीम इंडिया के युवा स्टार गेंदबाज थे। यही नहीं जब कोहली गली क्रिकेट खेला करते थे, तब नेहरा टीम इंडिया के स्टार क्रिकेटर्स में से एक थे। इतने सालों बाद अब आशीष नेहरा अपने से 10 साल छोटे कोहली की कप्तानी में 1 नवंबर को अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच खेलेंगे।
1999 में मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में नेहरा का कॅरियर शुरू हुआ। एशियाई टेस्ट चैंपियनशिप में श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने अपना डेब्यू मैच खेला। इसके बाद वो 2 साल के लिए गायब हो गए, फिर सौरव गांगुली उन्हें वापस लेकर आए। यह उस सुनहरे दौर की शुरुआत थी, जब जवागल श्रीनाथ ने नेहरा और बाएं हाथ के एक और यंग गेंदबाज जहीर खान के साथ मिलकर भारत की ओर से अब तक की सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजी दिखाई।
नेहरा और जहीर बल्लेबाजों को परेशान करते थे, जब श्रीनाथ अपना तजुर्बा दिखाते थे। 2003 का विश्वकप नेहरा के लिए ऊंचाई छूने वाला मौका था, जब उन्होंने डर्बन के मैच में इंग्लैंड की बल्लेबाजी को बिखेर दिया था इनके अलावा नेहरा ने धौनी, द्रविड़, गंभीर, गांगुली, सहवाग और कोहली की कप्तानी में भी टीम इंडिया की ओर से खेल चुके हैं।
जवागल श्रीनाथ के संन्यास लेने के बाद नेहरा ने गेंदबजी की बागडोर संभाली, लेकिन इस दौरान उनकी एड़ी, घुटना समेत शरीर के कई हिस्सों का ऑपरेशन होता रहा। बार-बार चोट लगने के बाद नेहरा का पूरा ध्यान वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट पर चला गया।
टेस्ट क्रिकेट की कड़ी मेहनत नेहरा को नहीं पसंद आ रही थी। यह तब दिखा भी, जब उन्होंने 2004 में पाकिस्तान के दौरे पर भारत के लिए अपना आखिरी टेस्ट खेला। नेहरा के कॅरियर का दूसरा दौर तब तक चला, जब तक गांगुली भारत के कप्तान रहे, यानी सितंबर 2005 तक। उस समय भारतीय टीम के कोच ग्रेग चैपल के निशाने पर रहने वाले खिलाड़ियों में नेहरा भी एक थे। अगले चार साल तक नेहरा भारतीय क्रिकेट टीम में नहीं दिखे।
इसके बाद नेहरा एक बार फिर भुला दिए गए। उस समय ऐसी चर्चा थी कि बीसीसीआई के किसी ताकतवर अधिकारी से उनकी कहासुनी हो गई है। ऐसे में नेहरा की टीम में वापसी अब कभी नहीं हो पाएगी। इस दौरान नेहरा गेंदबाजी करते रहे, चोटिल होते रहे और छोटे फॉर्मेट, विशेषकर आईपीएल में अच्छा परफॉर्मेंस देते रहे। आखिरकार 2015-16 में भारत में टी20 वर्ल्ड कप के आयोजन के समय धौनी उन्हें वापस लेकर आए। नेहरा ने मौके का फायदा उठाया और जिस तरीके से गेंदबाजी हमले की अगुवाई की, वो काबिले तारीफ रही।
मगर वर्ल्ड कप टी20 में नतीजे भारत की उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे। ऐसा महसूस किया गया कि एक बार फिर नेहरा अलग-थलग हो जाएंगे और वो फिर चोटिल हो गए। बार-बार चोट लगने के बावजूद किस्मत से नेहरा वापसी करते रहे। अब 1 नवंबर को अपने घरेलू मैदान पर खेलने के बाद वो संन्यास ले लेंगे।
नेहरा को 2003 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के खिलाफ मैच में 23 रन देकर छह विकेट चटकाने के लिए याद किया जाता है। तबियत खराब होने के बावजूद इस मैच में खेले थे। इसके अलावा नेहरा ने 17 टेस्ट, 120 वनडे और 26 टी20 मैच खेले हैं। उन्होंने टेस्ट मैचों में 44, वनडे में 157 और टी-20 में 34 विकेट चटकाए हैं।
14 साल पहले साल 2003 में अंडर 16 के एक मैच में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए आशीष नेहरा ने विराट कोहली को सम्मानित किया था। उस वक्त विराट कोहली 15 साल के बच्चे थे और नेहरा टीम इंडिया के युवा स्टार गेंदबाज थे। यही नहीं जब कोहली गली क्रिकेट खेला करते थे, तब नेहरा टीम इंडिया के स्टार क्रिकेटर्स में से एक थे। इतने सालों बाद अब आशीष नेहरा अपने से 10 साल छोटे कोहली की कप्तानी में 1 नवंबर को अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच खेलेंगे।
1999 में मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में नेहरा का कॅरियर शुरू हुआ। एशियाई टेस्ट चैंपियनशिप में श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने अपना डेब्यू मैच खेला। इसके बाद वो 2 साल के लिए गायब हो गए, फिर सौरव गांगुली उन्हें वापस लेकर आए। यह उस सुनहरे दौर की शुरुआत थी, जब जवागल श्रीनाथ ने नेहरा और बाएं हाथ के एक और यंग गेंदबाज जहीर खान के साथ मिलकर भारत की ओर से अब तक की सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजी दिखाई।
नेहरा और जहीर बल्लेबाजों को परेशान करते थे, जब श्रीनाथ अपना तजुर्बा दिखाते थे। 2003 का विश्वकप नेहरा के लिए ऊंचाई छूने वाला मौका था, जब उन्होंने डर्बन के मैच में इंग्लैंड की बल्लेबाजी को बिखेर दिया था इनके अलावा नेहरा ने धौनी, द्रविड़, गंभीर, गांगुली, सहवाग और कोहली की कप्तानी में भी टीम इंडिया की ओर से खेल चुके हैं।
टेस्ट क्रिकेट की कड़ी मेहनत नेहरा को नहीं पसंद आ रही थी। यह तब दिखा भी, जब उन्होंने 2004 में पाकिस्तान के दौरे पर भारत के लिए अपना आखिरी टेस्ट खेला। नेहरा के कॅरियर का दूसरा दौर तब तक चला, जब तक गांगुली भारत के कप्तान रहे, यानी सितंबर 2005 तक। उस समय भारतीय टीम के कोच ग्रेग चैपल के निशाने पर रहने वाले खिलाड़ियों में नेहरा भी एक थे। अगले चार साल तक नेहरा भारतीय क्रिकेट टीम में नहीं दिखे।
मगर वर्ल्ड कप टी20 में नतीजे भारत की उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे। ऐसा महसूस किया गया कि एक बार फिर नेहरा अलग-थलग हो जाएंगे और वो फिर चोटिल हो गए। बार-बार चोट लगने के बावजूद किस्मत से नेहरा वापसी करते रहे। अब 1 नवंबर को अपने घरेलू मैदान पर खेलने के बाद वो संन्यास ले लेंगे।
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