Sunday, 24 September 2017

बॉलीवुड की ये 5 फिल्में भी बताती है राष्ट्रीय भाषा का महत्व

गुरुवार को देश भर में हिन्दी दिवस मनाया जा रहा है. इसी मौके पर आज हम आपको बॉलीवुड की कुछ ऐसी फिल्मों के बारे में बताने वाले हैं, जिनमें राष्ट्रभाषा के महत्व को दिखाया गया है. जैसे-जैसे देश में इंग्लिश का महत्व बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे ही हिंदी की महत्ता भी कम होती जा रही है. बॉलीवुड की फिल्मों में भी अब इंग्लिश को ज्यादा महत्व दिया जाने लगा है, उसी तरह आज अच्छी नौकरी के लिए इंग्लिश आना लोगों के लिए काफी जरूरी हो गया है. हालांकि, इसके बाद भी आज भी बॉलीवुड के कुछ निर्मात हिंदी के महत्व को बताते हुए इस तरह की फिल्में बनाते हैं, तो चलिए आपको बताते हैं 5 ऐसी बॉलीवुड फिल्मों के बारे में-
हिंदी मीडियम

19 मई 2017 के दिन रिलीज हुई फिल्म ‘हिंदी मीडियम’ उन फिल्मों में शामिल है जो सुपरहिट हुई. फिल्म में हिंदी मीडियम को लेकर शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया गया है. फिल्म में इरफ़ान खान अमीर है पर इंग्लिश बोलने में गरीब हैं. इसलिए इमरान चाहतें हैं कि वे अपनी एकलौती बेटी को दिल्ली शहर के सबसे महंगे इंग्लिश स्कूल में दाखिला दिलवाएं ताकि उनकी बच्ची फर्राटेदार इंग्लिश बोल सके. बच्ची को इंग्लिश मीडियम स्कूल में दाखिला दिलवाने के लिए हिंदी मीडियम पिता को कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है यह फिल्म में दिखाया गया है.
इंग्लिश विंग्लिश

इस फिल्म में लीड किरदार अभिनेत्री श्रीदेवी ने निभाया है. फिल्म में श्रीदेवी को अंग्रेज़ी नहीं आती इसलिए उन्हें पति और बच्चों से अक्सर ताने सुनने पढ़ते हैं. एक शादी की वजह से श्रीदेवी को न्यूयॉर्क जाना पड़ता है और वो न्यूयॉर्क में इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स जॉइंट कर लेती है. इंग्लिश सीखने के बाद श्रीदेवी को पता चलता है कि हिन्दुस्तान में अंग्रेज़ी को युही पहाड़ बना रखा गया है.
नमस्ते लंदन

फिल्म में अक्षय कुमार अपना प्यार और अपनी पत्नी को पाने की चाह लिए लंदन पहुच जातें है. जहाँ जहाँ भी मौक़ा मिलता है अक्षय ने फिल्म में भारत का और हिंदी भाषा का प्रचार किया है. वैसे भी हम अक्षय कुमार की वो स्पीच कैसे भूल सकतें है जिसमे वे लंदन के गोरे मुंडे को हिन्दुस्तान की सभ्यता के साथ साथ हिंदी का महत्व समझातें हैं.
गोलमाल

यह फिल्म 1979 में रिलीज की गई थी. इस फिल्म के सभी किरदार जानदार थे पर ज़िक्र सिर्फ अमोल पालेकर और उत्पल दत्त की कॉमेडी की ही होती है. फिल्म में उत्कल जी ने ठान रखी है कि वे अपने दफ्तर में उसी बन्दे को नौकरी देंगे जो हिंदी भाषा में बढियां जानकारी रखता हो. नौकरी पाने के चक्कर में अमोल पालेकर को डबल रोल की भूमिका निभानी पड़ती है. आखिरकार अमोल को बात समझ आ ही जाती है कि हिंदी भाषा की भारत में क्या महतता है. फिल्म में बिन्दिया गोस्वामी, दीना पाठक, ओम प्रकाश, युनुस परवेज और अमिताभ बच्चन ने भी अहम किरदार निभाया था.
चुपके चुपके

'चुपके चुपके' फिल्म अगर आपने देखी है तो हम यह यकीन से कह सकतें है की फिल्म आज भी आपकी यादगार फिल्मों में से एक होगी. यह फिल्म साल 1975 में आई. फिल्म में अभिनेता धर्मेन्द्र की शानदार हिंदी ने सभी का मन मोह लिया. साथ ही यह भी बताया कि हिंदी भाषा अपने-आप में ही महान है. यह भले ही एक कॉमेडी फिल्म है पर किसी गंभीर मुद्दे से कम नहीं. इस फिल्म में शर्मिला टैगोर, अमिताभ बच्चन, जया बच्चन और ओम प्रकाश लीड रोल में हैं.

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