मेरा एक दोस्त है रंजीत. उसकी ज़िंदगी की लाख दिक्कतों में से एक है उसका जन्मदिन. उसकी मम्मी कहती हैं कि वो चैत में पैदा हुआ था. कौनसी तिथी, उन्हें याद नहीं. अब बड्डे मनाएं तो कब? गूगलानुसार चैत (माने चैत्र) मार्च महीने के बीच में कहीं से शुरू होता है. तारीख बदलता रहती है. लेकिन फिर भी रंजीत ने मार्कशीट में अपना जन्मदिन 18 फरवरी लिखवाया. लेकिन बात यहां खत्म नहीं होती. रंजीत मनाता अपना बर्थडे 2 फरवरी को है! लोल.
रंजीत की कहानी मैंने आपको इसलिए सुनाई कि आप उस महान विभूति की समस्या समझ सकें जिसका आज बड्डे है, माने गूगल. गूगल की समस्या रंजीत जैसी ही है. उसे अपना बड्डे कंफर्म नहीं. तो उसने अक्कड़-बक्कड़ करके एक दिन तय कर लिया जो आज, माने 27 सितंबर को पड़ता है. हर साल इस दिन गूगल नाना प्रकार के डूडल अपने सर्च इंजन के होम पेज पर लगाता है. इस साल भी लगा है. नया टैब खोलकर देखिएगा. लेकिन उस से पहले गूगल के बड्डे और उसको लेकर कंफ्यूज़न को जान लीजिए.27 सितंबर 2017 को लगे गूगल के डूडल में सांप वाला खेला खेलने का ऑप्शन भी आता था
अब वाला बड्डे 2006 में आया:-
लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में गूगल की शूरुआत की थी 1998 में. लेकिन 27 सितंबर को बड्डे मानाना उनने 2006 में जाकर शुरू किया. इस से पहले गूगल इन तारीखों को बड्डे मना चुका है
2005 – 26 सितंबर
2004 – 7 सितंबर
2003 – 8 सितंबर
लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में गूगल की शूरुआत की थी 1998 में. लेकिन 27 सितंबर को बड्डे मानाना उनने 2006 में जाकर शुरू किया. इस से पहले गूगल इन तारीखों को बड्डे मना चुका है
2005 – 26 सितंबर
2004 – 7 सितंबर
2003 – 8 सितंबर
ये हम इसलिए जानते हैं कि इन तारीखों पर गूगल ने खुद अपने बड्डे का डूडल शेयर किया था. और ये भी तब जब इन तारीखों का गूगल के जन्म से कोई खास लेनदेन समझ नहीं आता. गूगल के बारे में गूगल करने पर मालूम चलता है कि कंपनी 4 सितंबर, 1998 को इंकॉर्पोरेट हुई थी. सादी भाषा में इसी दिन कंपनी से जुड़ा कागज पत्तर तैयार हुआ था.
2013 में गूगल ने मान लिया था कि उसे नहीं मालूम कि उसका असली बड्डे कब है
कंफ्यूज़न ही कंफ्यूज़न है:-
कंफ्यूज़न की हद देखिए कि 2013 में खुद गूगल ने ही मान लिया कि हां भाई हमें नहीं मालूम हम चैत में कब पैदा हुए थे. हम कंफ्यूज़्ड हैं और इस बात का लोड भी नहीं लेते.
फिर 27 सितंबर कहां से आया:- बड्डे का लोड न लेने वाली गूगल ने अपना बड्डे 27 सितंबर को मनाना शायद इसलिए शुरू किया कि उन्होंने अपना पहला बड्डे डूडल 2002 में 27 सितंबर को शेयर किया था. ये गूगल का चौथा बड्डे था. इस साल के बाद से गूगल ने हर साल अपने बड्डे पर अपने होम पेज पर एक डूडल लगाया.
तो ये डूडल बनाता कौन है?
गूगल ने अपना पहला डूडल 30 अगस्त 1998 को ही लगा दिया था. माने कंपनी के आधिकारिक रूप से शुरू होने से भी पहले. वो डूडल अमरीका के नेवाडा में होने वाले बर्निंग मैन फेस्टिवल पर था. उसके बाद से गूगल अलग अलग मौकों पर डूडल बनाता रहा है. 2009 में गूगल में एक ‘डूडल टीम’ बना दी गई जिसका फुल टाइम काम डूडल बनाना होता है. इस टीम में 10 डूडलर (डिज़ाइनर), चार इंजीनियर और दो प्रोड्यूसर हैं. इनके सरदार हैं रायन जर्मिक. ये मिलकर हर साल 400 के करीब डूडल बना डालते हैं.
गूगल ने अपना पहला डूडल 30 अगस्त 1998 को ही लगा दिया था. माने कंपनी के आधिकारिक रूप से शुरू होने से भी पहले. वो डूडल अमरीका के नेवाडा में होने वाले बर्निंग मैन फेस्टिवल पर था. उसके बाद से गूगल अलग अलग मौकों पर डूडल बनाता रहा है. 2009 में गूगल में एक ‘डूडल टीम’ बना दी गई जिसका फुल टाइम काम डूडल बनाना होता है. इस टीम में 10 डूडलर (डिज़ाइनर), चार इंजीनियर और दो प्रोड्यूसर हैं. इनके सरदार हैं रायन जर्मिक. ये मिलकर हर साल 400 के करीब डूडल बना डालते हैं.
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