बीकानेर. जबड़े से लेकर सिर तक असहनीय दर्द से जूझ रहे संगरिया के 19 साल के पंकज की सीटी स्कैन रिपोर्ट देख पीबीएम हॉस्पिटल के डेंटिस्ट हैरान रह गए। वजह थी, एक दांत जो जबड़े में नहीं होकर आंख के नीचे मैक्सीलरी साइनस में उग आया था। इतना ही नहीं इस के इर्द-गिर्द एक गांठ बन चुकी थी, जिसने चेहरे के इस खाली हिस्से में से तीन-चौथाई घेर लिया।
काफी रिस्की था ऑपरेशन…
– ऐसे में जितना हैरान करने वाला यह मामला था, उतना ही चुनौती भरा था ऑपरेशन करना। चुनौती इसलिए कि ओपन सर्जरी में चेहरे पर कट लगाकर अंदर की हड्डी तोड़ उसमें से दांत और गांठ निकालना पड़ता। इसमें एक रिस्क यह भी कि दांत की जड़ आंख या दिमाग के पीछे तक पहुंची हो तो ऑपरेशन ही काफी रिस्की हो सकता था।
– ऐसे में जितना हैरान करने वाला यह मामला था, उतना ही चुनौती भरा था ऑपरेशन करना। चुनौती इसलिए कि ओपन सर्जरी में चेहरे पर कट लगाकर अंदर की हड्डी तोड़ उसमें से दांत और गांठ निकालना पड़ता। इसमें एक रिस्क यह भी कि दांत की जड़ आंख या दिमाग के पीछे तक पहुंची हो तो ऑपरेशन ही काफी रिस्की हो सकता था।
– इन सबके बावजूद डाॅक्टर्स ने इस चुनौती को न केवल कबूला बल्कि, पहली बार ऐसा ऑपरेशन भी कर डाला जो अब तक नहीं हुआ। उन्होंने आंख के नीचे उगे इस दांत और गांठ को दूरबीन के जरिये नाक में से निकाल दिया और मरीज काे एक चीरा तक नहीं लगा। हालांकि, इसके लिए डाक्टर्स ने दो दिन तक खुद को तैयार किया।
– डेंटल डिपार्टमेंट के एचओडी डा.रंजन माथुर के साथ ही ईएनटी के एसोसिएट प्रोफेसर डा.गौरव गुप्ता, एनेस्थीसिया की डा.सोनाली सोनी के साथ पूरी टीम बनी। डमी पर निशान लगा स्टडी भी की और आखिरकार सोमवार सुबह जो ऑपरेशन हुआ वह पीबीएम के डेंटल डिपार्टमेंट में एक नया अध्याय बन गया। पंकज अब स्वस्थ है, लेकिन उसे दो दिन ऑब्जरवेशन में रखा
ऐसा पहला केस, ऐसा पहला ऑपरेशन, नया रास्ता
ईएनटी डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डा.गौरव गुप्ता कहते हैं, इस ऑपरेशन को हम मेडिकल की लेग्वेंज में ‘ट्रांस-नेजल एंडोस्कोपिक रिमूवल ऑफ इन्फेक्टेड टूथ फ्रॉम पोस्टरोलेटरल वॉल ऑफ मेक्सिलरी साइनस’ कहेंगे। दूरबीन के जरिये साइनस के इस हिस्से तक पहुंचकर गांठ और दांत दोनों को नाक के रास्ते से निकालना, एक नया रास्ता है। ऐसा पहला केस आया है और पहला ही ऑपरेशन हुआ है।
25 साल से सर्जरी कर रहा हूं, ऐसा केस नहीं देखा
– मेडिकल कॉलेज के दंत रोग विभागाध्यक्ष डा.रंजन माथुर कहते हैं, “लगभग 25 साल से डेंटल सर्जरी कर रहा हूं। ऐसा मामला पहली बार देखा। जितना पेचीदा केस, उतना ही चुनौतीभरा उपचार। ऐसे में ईएनटी डिपार्टमेंट के एसोसिएशन प्रोफेसर डा.गौरव गुप्ता को साथ लेकर केस पर डिस्कस किया। एक रास्ता सामने आया, ट्रांस-नेजल एंडोस्कोपिक रिमूवल का। इसमें दूरबीन से नाक के जरिये इस दांत और गांठ तक पहुंचकर निकाला जा सकता। ऐसा आॅपरेशन भी पहले नहीं हुआ। इसमें खासतौर पर एनेस्थीसिया की बहुत अहम भूमिका भी हो जाती है। ऐसे में एक्सपर्ट डा.सोनाली सोनी और उनकी टीम से राय-मशविरा किया। वे साथ रहीं और आखिरकार लगभग दो घंटे चले ऑपरेशन में हम कामयाब रहे।”
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