Friday, 29 September 2017

जहाज के पीछे दिखने वाली ये सफ़ेद लकीर क्या है?

हम सब ने अपने बचपन के दिनों में ऊपर से जाते हवाई जहाज को देख टाटा जरूर किया है और जहाज के गुजरने के बाद, पीछे रह गयी सफ़ेद लकीर के बारे में भी खूब अनुमान लगाया है. कोई उसे जहाज का धुंआ बताता था तो कोई बर्फ की लकीर. लेकिन असल में वो क्या था किसी को नहीं मालूम था. आज भी हम में से कई लोग है जिनको इस धुएं का राज नहीं पता. तो चलिए आज हम आपको बताते है इस सफ़ेद लकीर का राज.
अमेरिकी स्पेस एजेंसी 'नासा' की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, 'आसमान में बनने वाली इस सफेद लकीर को 'कंट्रेल्स' कहते हैं. कंट्रेल्स भी बादल ही होते हैं, लेकिन वह आम बादलों की तरह नहीं बनते. ये हवाई जहाज या रॉकेट से बनते हैं और काफी ऊंचाई पर बनते हैं' इस रिपोर्ट में बताया गया है कि, जमीन से करीब 8 किलोमीटर ऊपर और -40 डिग्री सेल्सियस में इस तरह के बादल बनते हैं. हवाई जहाज या रॉकेट के एग्जॉस्ट (फैन) से एरोसॉल्स (एक तरह का धुआं) ​निकलते हैं.

जब आसमान की नमी इन एरोसॉल्स से साथ जम जाती है, तो कंट्रेल्स बनते हैं. आपको बता दें कि, कंट्रेल्स सबसे पहले साल 1920 में दुसरे विश्व युद्ध के दौरान देखे गए थे. उस वक्त कई खबरे ऐसी आयी थी कि, इस धुएं के कारण कई विमान आपस में टकरा गए थे क्योकि उन्हें कुछ दिखाई नहीं रहा था.

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