दीपवली के बाद दशहरे का आयोजन होता है। इस बार 30 सितंबर को दशहरा पर्व मनाया जाएगा। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने युद्ध में रावण को हराकर लंका पर विजय प्राप्त की थी और माता सीता को छुड़ाया था। रावण के विनाश के दिन को अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में जानते हैं। तभी से दशहरा का पर्व मनाया जाता है। लोग दशहरे के दिन रावण का पुतला जलाते हैं और भगवान श्रीराम की पूजा करते हैं। लेकिन देश में चार ऐसे स्थान हैं जहां रावण की पूजा की जाती है। हम आपको बताते हैं कि रावण की पूजा कहां और क्यों की जाती है।
इन स्थानों में होती है रावण कि पूजा
मंदसौर :-
मध्य प्रदेश के मंदसौर में रावण की पूजा की जाती है। मंदसौर का पुराना नाम दशपुर था। मान्यता है कि यहां रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका था। इसलिए इसका नाम मंदसौर पड़ा। यहां रावण का ससुराल होने के कारण उसकी पूजा की जाती है।
मध्य प्रदेश के मंदसौर में रावण की पूजा की जाती है। मंदसौर का पुराना नाम दशपुर था। मान्यता है कि यहां रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका था। इसलिए इसका नाम मंदसौर पड़ा। यहां रावण का ससुराल होने के कारण उसकी पूजा की जाती है।
बिसरख :-
उत्तर प्रदेश के बिसरख गांव में रावण की पूजा की जाती है। यह गांव रावण का ननिहाल माना जाता है। इसलिए यहां रावण की पूजा की जाती है। रावण के पिता विश्वेशरा के कारण इसका नाम बिसरख पड़ा।
उत्तर प्रदेश के बिसरख गांव में रावण की पूजा की जाती है। यह गांव रावण का ननिहाल माना जाता है। इसलिए यहां रावण की पूजा की जाती है। रावण के पिता विश्वेशरा के कारण इसका नाम बिसरख पड़ा।
जसवंतनगर:-
उत्तर प्रदेश के जसवंतनगर में दशहरे के दिन रावण की पूजा की जाती है। उसके बाद रावण के टुकड़े कर दिए जाते हैं और तेरहवें दिन रावण की तेरहवीं भी की जाती है।
उत्तर प्रदेश के जसवंतनगर में दशहरे के दिन रावण की पूजा की जाती है। उसके बाद रावण के टुकड़े कर दिए जाते हैं और तेरहवें दिन रावण की तेरहवीं भी की जाती है।
अमरावती :-
महाराष्ट्र के अमरावती स्थित गढ़ चिरौली में आदिवासी लोग दशहरे के दिन रावण की पूजा करते हैं। आदिवासी समुदाय रावण को अपना देवता मानते हैं।
महाराष्ट्र के अमरावती स्थित गढ़ चिरौली में आदिवासी लोग दशहरे के दिन रावण की पूजा करते हैं। आदिवासी समुदाय रावण को अपना देवता मानते हैं।
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