जलियांवाला बाग़ की खास बातें- जलियांवाला बाग जिसका नाम आते ही हर एक भारतीय का खून खौल जाता है. यही वो बाग हैं जहां पांच हजार से अधिक निहत्थों पर अंग्रेजी जरनल डायर ने गोलियों की बौछारें करवा दिया था. यह दिन हमारे इतिहास का सबसे दर्दनाक दिन था जब सिर्फ 10 मिनट में एक हजार से ज्यादा लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी वहीं दो हजार से ज्यादा घायल हो गए. इस मैदान में बच्चों से लेकर बूढ़े तक थे.
इन दर्दनाक यादों के हमेशा भारतीय के दिलों में जिंदा रखने के लिए जलियावाबा बाग को एक रुप दिया गया है ताकि हमें हमेशा यह अहसास रहे हैं कि हमें आजादी कितने बड़े बलिदान देकर मिली है. अगर आपने इस आजादी के बाद के जलियांवाला बाग को नहीं देखा तो शर्म आनी चाहिए. जिस आजाद भारत में खुलकर सांस ले रहे हैं उसमें इस बाग की बहुत बड़ी भूमिका है. अगर यह नरसंहार नहीं हुआ होता तो शायद आजादी में और भी समय लगता. इसके बाद से ही वीर उद्यम सिंह, भगत सिंह जैसे कितने ही वीरों ने आजादी की लड़ाई में कूद गए. नतीजा यह हुआ की अंग्रेजों को हमे आजादी देनी पड़ी. हम आपको आज उसी जलियांवाला बाग की अब की तस्वीरें दिखा रहे हैं जिसे हर भारतीय को देखना चाहिए-
जलियांवाला बाग़ की खास बातें-
शहीद स्मारक-
जलिया बाला बाग को स्मारक बनाने के लिए आजादी से पहले ही साल 1920 में एक ट्रस्ट की स्थापना की गई. जिसने अगस्त 1920 को इसे स्मारक के रुप में बना दिया. आजादी के बाद इस पर सवा नौ लाख रुपये और खर्च कर इसे यादगार बना दिया गया. इस बाग में एक लाल पत्थर का बना एक 30 फिट उंचा स्तंभ बना हुआ है. इसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने किया था.
जलिया बाला बाग को स्मारक बनाने के लिए आजादी से पहले ही साल 1920 में एक ट्रस्ट की स्थापना की गई. जिसने अगस्त 1920 को इसे स्मारक के रुप में बना दिया. आजादी के बाद इस पर सवा नौ लाख रुपये और खर्च कर इसे यादगार बना दिया गया. इस बाग में एक लाल पत्थर का बना एक 30 फिट उंचा स्तंभ बना हुआ है. इसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने किया था.
जलियांवाला बाग मैमोरियल-
उस समय की यादगार चीजों को और इसके इतिहास को संजो कर रखने के लिए एक मैमोरियल बनाया गया है. यहीं शहीद उद्यम सिंह की अस्थि भी रखी हुई है. शहीद उद्यम सिंह ने इस नरसंहार करवाले वाले जनरल डायर की 13 मार्च 1940 को हत्या कर दी थी.
उस समय की यादगार चीजों को और इसके इतिहास को संजो कर रखने के लिए एक मैमोरियल बनाया गया है. यहीं शहीद उद्यम सिंह की अस्थि भी रखी हुई है. शहीद उद्यम सिंह ने इस नरसंहार करवाले वाले जनरल डायर की 13 मार्च 1940 को हत्या कर दी थी.
गोलियों के निशान-
जलियावाला बाग में मौजूद दीवारें आज भी इस हत्याकांड की गवाही दे रही है. इसमें बनी दिवारों पर आज भी गोलियों के निशान मौजूद है.
पार्क-
इस बाग को पार्क का रुप दिया गया है लेकिन यह पार्क उस घटना को आपके सामने सजीव रुप से रख देगा. इसमें उस घटना के अनुसार सजाया गया है.
इस बाग को पार्क का रुप दिया गया है लेकिन यह पार्क उस घटना को आपके सामने सजीव रुप से रख देगा. इसमें उस घटना के अनुसार सजाया गया है.
कुंआ-
जलियांवाला बाग में एक कुंआ भी था जिसमें लाशों की ढ़ेर लग गई थी. लोग अपनी जान बचाने के लिए उस कूंए में कूद गए थे और देखते ही देखते कूंआ लाशों से भर गया.
जलियांवाला बाग में एक कुंआ भी था जिसमें लाशों की ढ़ेर लग गई थी. लोग अपनी जान बचाने के लिए उस कूंए में कूद गए थे और देखते ही देखते कूंआ लाशों से भर गया.
अमर ज्योति-
वहां एक अमर ज्योति भी है जिसमें लगने वाले लौ आज भी उनके बलिदान को सलामी दे रहा है.
जलियांवाला बाग एक ऐसी एतिहासिक जगह हैं जहां का इतिहास से लेकर वर्तमान हमें पता होना चाहिए. यह एक टूरिज्म स्पॉट बन चुका है लेकिन फिर भी यहां जाने के बाद आपको खुशी की जगह गुस्सा आएगा. इसे देखते ही आपका खून खौल जाएगा.
वहां एक अमर ज्योति भी है जिसमें लगने वाले लौ आज भी उनके बलिदान को सलामी दे रहा है.
जलियांवाला बाग एक ऐसी एतिहासिक जगह हैं जहां का इतिहास से लेकर वर्तमान हमें पता होना चाहिए. यह एक टूरिज्म स्पॉट बन चुका है लेकिन फिर भी यहां जाने के बाद आपको खुशी की जगह गुस्सा आएगा. इसे देखते ही आपका खून खौल जाएगा.
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