Tuesday, 10 October 2017

पोस्टमार्टम रूम के भीतर की सच्चाई जानकर उड़ जाएंगे आपके होश

दोस्तों सृष्टि का तो ये नियम ही है कि जो इस दुनिया में आया है उसे एक न एक दिन जाना ही पड़ेगा। चाहे वह अमीर हो या गरीब, सभी को अपना शरीर त्यागना ही पड़ता है। आज हम चर्चा करने वाले हैं मृत्यु के बाद किए जाने वाली महत्वपूर्ण प्रक्रिया यानी पोस्टमार्टम के बारे में।

पोस्टमार्टम का स्वरूप वास्तव में कैसा होता है।
दोस्तों आप सभी ने पोस्टमार्टम के बारे में तो सुना ही होगा, पर वास्तव में पोस्टमार्टम रूम में क्या होता है ये शायद किसी ने नही देखा होगा। अहमदाबाद के बाबूभाई सितापारा वाघेला जो पिछले कई साल से पोस्टमार्टम का काम करते आ रहे हैं, आइए उनके अनुभवों से जानने की कोशिश करते हैं कि पोस्टमार्टम का स्वरूप वास्तव में कैसा होता है।

बाबूभाई वाघेला ने अपनी डायरी में लिखा है कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसी ऐसी लाशों का पोस्टमार्टम किया है जिन्हें देखने मात्र से आम आदमी चक्कर खा कर गिर जाए। राजकोट के पास पेड़क इलाके में हुई एक घटना के बारे में बताते हुए वे कहते हैं कि उन्हें एक ऐसी लाश का पोस्टमार्टम करना पड़ा जिसकी मौत आठ दिन पहले ही हो चुकी थी। उस सिर कटी लाश में चारों तरफ से कीड़े लग चुके थे। बाबूभाई के जीवन का यह पहला खौफनाक अनुभव था। इस के बाद कई दिनों तक तो उन्होंने खाना भी नही खाया था।

अहमदाबाद में हुए एक लक्जरी बस और मिनी बस के एक्सीडेंट के बारे में बताते हुए उन्होंने लिखा है कि उस दुर्घटना में बस में सवार अठारह लोगों की जगह पर ही मौत हो गई थी। जब उन अठारह शवों को पोस्टमार्टम के लिए बाबूभाई के हवाले किया गया तो पहले वे इतनी सारी लाशें एकसाथ देखकर घबरा गए थे। चूंकि पोस्टमार्टम रूम में जगह का अभाव था इसलिए सारे शवों को पोस्टमार्टम यार्ड में ही रखा गया और वहीं पर उनका पोस्टमार्टम किया गया। बाबूभाई बताते हैं कि उन्हें सबसे बुरा तब लगता है जब किसी नन्हें बच्चे पर छुरी और हथौड़ा चलाया जाए। बाबूभाई के पिताजी और दादाजी भी इसी कार्य से जुड़े थे। पोस्टमार्टम से जुड़ी ऐसी अनेक खौफनाक सच्चाइयां उन्होंने बताई हैं।

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