एक्टर 11 अक्टूबर 2017 को अपना 75वां बर्थडे सेलिब्रेट करेंगे। इलाहाबाद में पैदा होने वाले इस एक्टर के पिता हरिवंश राय बच्च्न इलाहाबाद से करीब 65 किलोमीटर दूर प्रतापगढ़ डिस्ट्रिक्ट बाबू पट्टी गांव के रहने वाले थे। उनके पारिवारिक मित्र रहे गुप्ता के बेटे शार्देंदु महेश से हुई बातचीत के आधार पर DainikBhaskar.com अपने पाठकों को अमिताभ के पिता के बारे कुछ इंटरेस्टिंग बातें बताने जा रहा है। लेटर में सिग्नेचर वाली जगह लिखते थे GOOD...
- शार्देंदु बताते है, बहुत कम लोगों को पता है कि डॉक्टर हरिवंश राय बच्चन अपने सिग्नेचर वाले स्थान पर कभी सिग्नेचर नहीं करते थे, बल्कि वहां GOOD लिखते थे। जिसे लोग उनका सिग्नेचर समझते थे। इसे हरिवंश राय बच्चन अपना गुड लक मानते थे।
- बाबूजी (हरिवंश राय) अपने इलाहाबादी मित्रों से जीवन भर जुड़े थे और चिट्ठी-पत्री के जरिए ही सही उनका हाल-चाल लेते रहते थे। इन्हीं लेटर्स में वो अपने नाम की जगह Good लिखा करते थे।
- बाबूजी (हरिवंश राय) अपने इलाहाबादी मित्रों से जीवन भर जुड़े थे और चिट्ठी-पत्री के जरिए ही सही उनका हाल-चाल लेते रहते थे। इन्हीं लेटर्स में वो अपने नाम की जगह Good लिखा करते थे।
घर के 'बच्चन' का क्यों पड़ा हरिवंश राय नाम यह थी वजह
- वो कहते हैं, बाबूजी के पिता प्रताप नारायण श्रीवास्तव और माता सरस्वती देवी के बेटे नहीं पैदा हो रहे थे। उनके पुरोहित ने प्रतापगढ़ के बाबू पट्टी से पैदल चलकर प्रयाग में हरिवंश पुराण सुनने का सुझाव दिया।
- उन्होंने ऐसा ही किया। इसके बाद ही हरिवंश राय का जन्म हुआ। घर में उन्हें बच्चन (छोटा बच्चा) बुलाया जाता था, लेकिन स्कूल में उनका नाम हरिवंश पुराण के आधार पर ही हरिवंश राय रखा गया।
- वो कहते हैं, बाबूजी के पिता प्रताप नारायण श्रीवास्तव और माता सरस्वती देवी के बेटे नहीं पैदा हो रहे थे। उनके पुरोहित ने प्रतापगढ़ के बाबू पट्टी से पैदल चलकर प्रयाग में हरिवंश पुराण सुनने का सुझाव दिया।
- उन्होंने ऐसा ही किया। इसके बाद ही हरिवंश राय का जन्म हुआ। घर में उन्हें बच्चन (छोटा बच्चा) बुलाया जाता था, लेकिन स्कूल में उनका नाम हरिवंश पुराण के आधार पर ही हरिवंश राय रखा गया।
आजीवन अपने सास-ससुर के मकान में नहीं गई तेजी बच्चन
- उन्होंने बताया, रंगमंच करने वाली शिक्षिका तेजी सूरी से 24 जनवरी 1942 को रजिस्टर्ड मैरिज करने के बाद हरिवंश अपना घर छोड़कर सिविल लाइंस के करीब रोड पर स्थित शंकर तिवारी (फूल वाले बंगले) के बंगले में किराए पर रहने चले गए थे।
- कायस्थ परिवार से ताल्लुक रखने वाले बच्चन का पंजाबी लड़की से शादी करना उनकी मां और घरवालों को मंजूर नहीं था।
- सासू मां सरस्वती देवी और परिवार के अन्य लोगों द्वारा नापसंद किए जाने से तेजी बच्चन बहुत दुखी हुईं और इसी वजह से वो आजीवन अपने ससुर के घर में नहीं गई।
- उन्होंने बताया, रंगमंच करने वाली शिक्षिका तेजी सूरी से 24 जनवरी 1942 को रजिस्टर्ड मैरिज करने के बाद हरिवंश अपना घर छोड़कर सिविल लाइंस के करीब रोड पर स्थित शंकर तिवारी (फूल वाले बंगले) के बंगले में किराए पर रहने चले गए थे।
- कायस्थ परिवार से ताल्लुक रखने वाले बच्चन का पंजाबी लड़की से शादी करना उनकी मां और घरवालों को मंजूर नहीं था।
- सासू मां सरस्वती देवी और परिवार के अन्य लोगों द्वारा नापसंद किए जाने से तेजी बच्चन बहुत दुखी हुईं और इसी वजह से वो आजीवन अपने ससुर के घर में नहीं गई।
विदाई में गहने-कपड़े की जगह ग्रामोफोन और एक नौकर लाई थीं तेजी
- शार्देंदु बताते हैं- जब अमिताभ 7 महीने के थे, तभी डॉक्टर हरिवंश राय बच्चन को अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने के लिए 1943 में फौजी ट्रेनिंग के लिए इलाहाबाद से बाहर जाना पड़ा था।
- उनके जाने के बाद तेजी अमिताभ बच्चन को लेकर अपने पिता सरदार खजान सिंह के पास मीरपुर, पाकिस्तान चली गई थी।
- डेढ़ महीने बाद जब वो मायके से इलाहाबाद के लिए चलीं तो उनके माता-पिता ने उन्हें और अमिताभ को ढेर सारे जेवर-कपड़े, बर्तन विदाई में देने के लिए मंगवाए, जिसे तेजी बच्चन ने लेने से इनकार कर दिया।
- मां-बाप का दिल ना टूटे इसलिए वो चाबी से चलने वाला एक ग्रामोफोन और अपने पिता के सबसे वफादार नौकर सुदामा को अपने साथ ले आईं।
- शार्देंदु बताते हैं- जब अमिताभ 7 महीने के थे, तभी डॉक्टर हरिवंश राय बच्चन को अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने के लिए 1943 में फौजी ट्रेनिंग के लिए इलाहाबाद से बाहर जाना पड़ा था।
- उनके जाने के बाद तेजी अमिताभ बच्चन को लेकर अपने पिता सरदार खजान सिंह के पास मीरपुर, पाकिस्तान चली गई थी।
- डेढ़ महीने बाद जब वो मायके से इलाहाबाद के लिए चलीं तो उनके माता-पिता ने उन्हें और अमिताभ को ढेर सारे जेवर-कपड़े, बर्तन विदाई में देने के लिए मंगवाए, जिसे तेजी बच्चन ने लेने से इनकार कर दिया।
- मां-बाप का दिल ना टूटे इसलिए वो चाबी से चलने वाला एक ग्रामोफोन और अपने पिता के सबसे वफादार नौकर सुदामा को अपने साथ ले आईं।
अमिताभ को जन्म के बाद तांगे से दोस्त के घर लेकर गई थीं तेजी
- शार्देंदु कहते हैं- 11 नवंबर 1942 को जब अमिताभ बच्चन का जन्म डॉक्टर बरार की क्लीनिक में हुआ था। तब वहां से डिस्चार्ज होने के बाद हरिवंशराय बच्चन के सामने समस्या खड़ी हो गई थी।
- तेजी बच्चन उनके पैतृक घर में जाने को तैयार नहीं थीं और किराए वाले मकान में उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था।
- उस समय उनके पुराने दोस्त-पड़ोसी महेश बाबू गुप्ता पहुंचे और अमिताभ-तेजी बच्चन को तांगे से अपने घर लेकर आए।
- महेश बाबू गुप्ता के घर में आज भी वो कमरा मौजूद है, जिसमें तेजी बच्चन नवजात शिशु को लेकर रहती थी। साथ में वो पलंग-सोफा भी हैं, जिसमें अमिताभ अपनी मां के साथ सोते-बैठते थे।
- शार्देंदु कहते हैं- 11 नवंबर 1942 को जब अमिताभ बच्चन का जन्म डॉक्टर बरार की क्लीनिक में हुआ था। तब वहां से डिस्चार्ज होने के बाद हरिवंशराय बच्चन के सामने समस्या खड़ी हो गई थी।
- तेजी बच्चन उनके पैतृक घर में जाने को तैयार नहीं थीं और किराए वाले मकान में उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था।
- उस समय उनके पुराने दोस्त-पड़ोसी महेश बाबू गुप्ता पहुंचे और अमिताभ-तेजी बच्चन को तांगे से अपने घर लेकर आए।
- महेश बाबू गुप्ता के घर में आज भी वो कमरा मौजूद है, जिसमें तेजी बच्चन नवजात शिशु को लेकर रहती थी। साथ में वो पलंग-सोफा भी हैं, जिसमें अमिताभ अपनी मां के साथ सोते-बैठते थे।
...तो इसलिए फ्री में टीबी रोग से बचाव करते हैं अमिताभ
- उन्होंने बताया, डॉक्टर हरिवंश राय बच्चन की पहली पत्नी और अमिताभ बच्चन की सौतेली मां श्यामा की मौत महज 24 साल की उम्र में टीबी की वजह से हो गई थी।
- उनकी मां की भी मौत टीबी रोग से ही हुई थी। अमिताभ बच्चन भी टीबी रोग से ग्रसित हो चुके हैं, इसीलिए वो टीबी से संबंधित विज्ञापन का मुफ्त में प्रचार करते हैं।
- उन्होंने बताया, डॉक्टर हरिवंश राय बच्चन की पहली पत्नी और अमिताभ बच्चन की सौतेली मां श्यामा की मौत महज 24 साल की उम्र में टीबी की वजह से हो गई थी।
- उनकी मां की भी मौत टीबी रोग से ही हुई थी। अमिताभ बच्चन भी टीबी रोग से ग्रसित हो चुके हैं, इसीलिए वो टीबी से संबंधित विज्ञापन का मुफ्त में प्रचार करते हैं।
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