Tuesday, 17 October 2017

भारत में एशिया की सबसे बड़ी केला मंडी, करोड़ों में है मासिक टर्नओवर

असम, एजेंसी। असम के दारनगिरि स्थित गोलपाड़ा में हर सोमवार-मंगलवार को केला मंडी लगती है। यह एशिया का सबसे बड़ा केला बाजार है। यहां से पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, झारखंड, उत्तरप्रदेश के अलावा भूटान, नेपाल और बांग्लादेश तक निर्यात भी किया जाता है।
दारनगिरि राष्ट्रीय राजमार्ग 37 के पास गोलपाड़ा जिले में स्थित है। करीब 80 प्रतिशत केला मेघालय की गारो पहाडि़यों में होता है और बाकी 20 प्रतिशत गोलपाड़ा जिले में। दारनगिरि का मासिक टर्नओवर 4 करोड़ रुपये है। सितंबर से अक्टूबर यहां सर्वाधिक व्यापार होता है। मालूम हो, केला दुनिया का पांचवां सबसे अधिक कारोबार वाला उत्पाद है। भारत इसका बड़ा खुदरा केंद्र है।

सितंबर-अक्टूबर सीजन 
यूं तो यहां सालभर ही केला उगाया जाता है, लेकिन सितंबर-अक्टूबर के माह यानी दीपावली और छठ पूजा से पहले सबसे ज्यादा केला बाजार पहुंचता है। यही कारण है कि इन दो महीनों में रोज 50 से 100 ट्रक केला भरकर बाहर भेजा जाता है। केलों को हरे पत्तों में लपेटकर रखा जाता है। एक ट्रक में 1200 से 1600 गुच्छे आते हैं।
समिति संचालित करती है मंडी 
यहां दारनगिरि आंचलिक उन्नयन समिति कार्यरत है। यह बाजार 1976 में पहली बार रजिस्टर्ड हुआ। 8 बीघा में फैली यह मंडी तबसे लग रही है, जबसे दारनगिरि सड़कमार्ग से जुड़ा। समिति दो रुपये प्रति गुच्छे शुल्क लेती है और गोलपाड़ा जिला परिषद को सालाना 1.10 लाख रुपये लाइसेंस शुल्क देती है। केले की माबहॉग प्रजाति सोमवार, जबकि चेन्नीचंपा प्रजाति गुरुवार को बेची जाती है। चेन्नीचंपा प्रजाति असम से बाहर भेजी जाती है, क्योंकि इसमें खास तरह की मिठास होती है। छठ पूजा और दुर्गा पूजा के दौरान इसकी मांग इतनी होती है कि यहां से 130 ट्रक तक केले भेजे जाते हैं। माबहोग का एक गुच्छा प्रदेश से बाहर 300 से 400 रुपये में बेचा जाता है।

About Author

0 comments:

Post a Comment

Popular Posts

Recent Posts

Unordered List

Text Widget

Blog Archive

Search This Blog

BTemplates.com