सभी जानते है कि रामायण वाल्मीकि के द्वारा लिखी गयी थी वैसे तो रामायण एक से अधिक है जैसे आनंद रामायण,अद्भुत रामायण और कबंद रामायण जिनके लेखक भी अलग अलग थे लेकिन वाल्मीकि जी के द्वारा लिखी गयी रामायण को अधिक महत्व दिया है अगर आप इन रामायण को पढ़ते है तो आपको कुछ नया जानने मिलेगा क्योंकि सभी ने अपने अनुभव को राम के साथ हुई घटना को प्रकट किया है।
इसके बाद जैसे जैसे समय बीतता गया रामायण का अनुवाद 29 से अधिक भाषाओं में हो गया। लेकिन भाषांतर करने वाले लेखकों को जितना पता था उस आधार पर उन्होंने अपना ज्ञान प्रकट किया।
लेकिन हम एक ऐसी रामायण की बात कर रहे है जो किसी और ने नहीं बल्कि स्वयं राम भक्त हनुमान ने लिखी थी। वाल्मीकि ने जो रामायण लिखी वह उन्होंने स्वयं देखी घटना थी जो सत्य के काफ़ी निकट थी लेकिन शोधकर्ता मानते है कि एक ऐसी रामायण लिखी गयी थी जो किसी के पास नहीं है। इस रामायण का नाम हनुमद रामायण था जो हनुमान ने अपने नाखुनो के द्वारा लिखी थी।
लंका विजय के बाद हनुमान भगवान शिव की तपस्या में लीन होकर शिला पर रामायण का निर्माण करते है हनुमान से अधिक श्री राम को कोई नहीं जानता था इसलिए उन्होंने इस रामायण को लिखने के बाद महादेव को समर्पित करने की इच्छा जताई और शिव के कैलाश धाम में पहुँच गए। लेकिन जब वाल्मीकि ने हनुमान रामायण पढ़ी तो वे निराश होकर कहने लगे कि इसके सामने मेरी रामायण तो कुछ भी नहीं है।
वाल्मीकि जी को निराश होते देख हनुमान ने तेज गति से समुन्द्र की और उड़े और उन्होंने अपने द्वारा लिखी रामायण को समुन्द्र में फेंक दिया था जो आज तक किसी के पास नहीं है। हनुमान के त्याग से प्रसन्न होकर वाल्मीकि जी ने उन्हें वचन दिया कि मैं कलयुग में जन्म लेकर सामान्य लोगो के लिए एक बार फिर रामायण का निर्माण करूँगा जिसमे आपकी महिमा का गुणगान होगा।
साहित्य कार कहते है कि गोस्वामी तुलसीदास ही वाल्मीकि का दूसरा अवतार थे उन्होंने रामचरित मानस लिखने से पहले ही ''हनुमान चालीसा'' लिखी जिसमे हनुमान की महिमा के गुणगान का वर्णन किया गया है। दोस्तों यदि आपको यह जानकारी उपयोगी अच्छी लगे तो नीचे दिया फॉलो का बटन जरूर दबाए जिससे हम और अनसुनी कथा आप तक शेयर कर सके।
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