जम्मू-कश्मीर पर्यावरण संस्था और राज्य एक्स सर्विसेज लीग के अध्यक्ष गोवर्धन सिंह आज सेवानिवृत सैनिको और कंडी के किसानो की फौज के जनरल है।
बारिश पर निर्भर पथरीले इलाको मे पले-बढ़े राज्य के पहले जनरल ने जवानी पाकिस्तान और चीन जैसे देशो से युद्ध लड़ते हुए बिताई। अब बुढ़ापा बंजर इलाको को हरा-भरा करने के नाम कर दिया। महाराजा हरि सिंह की फौज के लेफ्टिनेट से राष्ट्रपति नीलम संजीवा रेड्डी के मिलिट्री सेक्रेटरी बनने का सफर तय कर चुके नब्बे वर्षीय मेजर जनरल गोवर्धन सिंह जम्वाल कंडी इलाको मे जल संरक्षण से हरियाली फैला कर हजारो परिवारो की तकदीर बदल रहे है। जम्मू-कश्मीर पर्यावरण संस्था और राज्य एक्स सर्विसेज लीग के अध्यक्ष गोवर्धन सिंह आज सेवानिवृत सैनिको और कंडी के किसानो की फौज के जनरल है।
सेना मे सफल करियर के बाद जहां अधिकतर वरिष्ठ सैन्य अधिकारी दिल्ली, पुणे जैसे शहरो मे बस जाते है। वही, गोवर्धन सिंह वर्ष 1984 मे उन कंडी इलाको मे लौट आए जहां वह पैदा हुए थे। शरीर बूढ़ा है पर इरादे अभी भी जवान है। पत्नी का निधन होने के बाद अमेरिका, दिल्ली मे बसे बेटी और बेटे के पास जाने के बजाए वह अकेले रहकर सपना साकार कर रहे है।
सांबा जिले के सुचानी मे जन्मे जनरल गोवर्धन सिंह ने 33 साल पहले सेवानिवृत होने के बाद कंडी के जीवन को सरल बनाने के लिए बाड़ी, बड़ौढ़ी, मीन, राया, सुचानी, पाटी गांवो को चुना। गांवो मे पानी नहीं था और रखरखाव न होने से तालाब सूखे व अतिक्रमण का शिकार हो रहे थे।
उन्होने इन गांवो मे पुराने तालाबो को नया जीवन देने और बारिश के पानी के संरक्षण के लिए चेक डैम बनाने के साथ इसकी शुरुआत की। क्षेत्र मे करीब 60 तालाबो को पुनर्जीवित करने और 17 चेक डैम बनने के बाद हरियाली फैलाने का मिशन शुरू हुआ। शुरुआत पचास हजार फालसे पौधे लगाने से हुई। इसके बाद पौधे लगाने का काम रुका नहीं। आम, बेहड़ा, आमला, हरड़, नीम, जामुन, नीबू प्रजाति, अमरूद, लेमन ग्रास व अन्य औषधीय पौधे लगाकर करीब अढ़ाई सौ एकड़ बंजर जमीन पर हरियाली फैलाई। इसके लिए जनरल ने आठ सौ से अधिक फील्ड विजिट की। यह सिलसिला जारी है।
जनरल जम्वाल का कहना है जम्मू, सांबा, कठुआ, ऊधमपुर के कंडी इलाको का जीवन बहुत कठिन है। यहां के लोग मेहनती है। मैंने सिर्फ सोच दी बाकी लोग खुद कर रहे है।
जल संरक्षण से पानी मिला तो लोग खुद भी पेड़ लगाने लगे। आज जीवित किए गए तालाबो मे मछली पैदा होने से कई परिवारो के लिए आय का साधन बना है। महिलाएं इलाके मे उगाए गए सीसल से जरूरत का सामान बनाती है। हर घर मे फलदार पेड़ है। सीधे तौर पर पांच हजार परिवारो को अपनी जिंदगी बेहतर बनाने की दिशा दी। अब ये परिवार जनरल जम्वाल का संदेश आगे फैला रहे है। किसी तालाब को पानी से भरने की बात आती है तो लोग संगठित होकर सामने आ जाते है।
शिवालिक को हरा-भरा करने का है सपना
जनरल गोवर्धन सिंह का सपना है कि वह जम्मू संभाग मे पुराने समय के करीब एक हजार तालाबो का पहले जैसा स्वरूप बहाल कर शिवालिक पहाडि़यो को हरा भरा कर दे।
जम्मू संभाग के राजौरी, जम्मू, रियासी, ऊधमपुर, कठुआ मे धार रोड और जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के मध्य शिवालिक पहाडि़यो पर सालाना 125 मिलीमीटर बारिश होती है। बारिश के पानी के संचय की व्यवस्था न होने से पानी बहकर पाकिस्तान चला जाता है। इससे मिट्टी कटाव भी होता है। जनरल का कहना है कि अगर तालाब, चेक डैम बनाकर पानी रोका जाए तो इससे शिवालिक मे न सिर्फ हरियाली आएगी बल्कि भूस्खलन भी रुक जाएगा।
युवाओ को जल संरक्षण सिखा रहे
मेजर जनरल गोवर्धन सिंह जम्वाल नई पीढ़ी को सिखा रहे है कि उन्हे किस तरह से पानी बचाकर भविष्य मे पानी की जरूरत पूरी करनी है।
कश्मीर प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षुओ का हर बैच गोवर्धन सिंह जम्वाल के साथ एक दिन कंडी इलाको का फील्ड विजिट कर सीखता है कि पानी का संरक्षण कर हरियाली कैसे फैलानी है। यही नही, जम्मू विश्वविद्यालय के विद्यार्थी भी उनके पास आते है।
बागवानी विभाग की निदेशक व केएएस अधिकारी अनुराधा गुप्ता का कहना है कि उन्होने अपने सहपाठियो के साथ डेढ़ दशक पूर्व जनरल जम्वाल के साथ एक दिन कंडी मे बिताया था। आज भी अच्छी तरह याद है कि उन्होने जल संरक्षण को लेकर क्या ट्रेनिंग दी थी। हम इस्तेमाल भी करते है।
अन्ना हजारे भी आए थे काम देखने
फौज के सेवानिवृला जनरल के पर्यावरण संरक्षण के अभियान को करीब से देखने के लिए अन्ना हजारे भी जम्मू आए थे। करीब एक दशक पूर्व अन्ना हजारे जनरल जम्वाल के साथ बड़ौढ़ी गांव गए थे। वहां पर उन्होने पानी को रोकने के लिए बनाए गए तालाब आदि देखे थे।
सांसद व राज्य के पूर्व सदर-ए-रियासत डॉ. कर्ण सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, राज्यपाल एनएन वोहरा व सेना के कई वरिष्ठ अधिकारी भी उन इलाको का दौरा कर चुके है।
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