1962 में शीतयुद्ध के समय, अमेरिका और सोवियत संघ के बीच थर्ड वर्ल्ड वार सिर्फ एक भालू की वजह से होने वाला था।
अमेरिका और नॉर्थ कोरिया में काफी समय से तनातनी चल रही है। ये ठीक वैसी ही स्थिति है जब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीतयुद्ध चल रहा था, उस समय न्यूक्लियर वेपन दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ तैनात कर रखे थे। अब फिर से वही स्थिति अमेरिका और नार्थ कोरिया के बीच बन गई है। ऐसे में हम अापको बताने जा रहे हैं 1962 की वह घटना, जब अमेरिका और सोवियत संघ की न्यूक्लियर वेपन से लेस मिसाइलें एक दूसरे की तरफ तनी थी। एेसे में एक भालू की वजह से वह थर्ड वर्ल्ड वार होने वाला था।
क्या थी वह घटना....
1962 में अमेरिका ने अपने जासूसी हवाई जहाजों के द्वारा देखा कि सोवियत संघ, क्यूबा में मिसाइल बना रहा है। वह समय शीतयुद्ध का था जब दोनों देश, एक-दूसरे के खिलाफ न्यूक्लियर वेपन्स मिसाइलों में लगाकर उन्हें तैनात करके बैठे थे। उस समय के तत्कालीन अमेरिकी प्रेसिडेंट जॉन एफ कैनेडी ने अपनी एयरफोर्स को हाई अलर्ट पर रखा हुआ था। सिक्योरिटी बहुत हाई थी और न्यूक्लियर वेपन्स के साथ बाम्बर किसी पर भी अटैक के लिए तैयार थे।
अमेरिका के डुलुथ एयरबेस पर 25 अक्टूबर 1962 की रात को एक घटना घटी। एक गार्ड डुलुथ एयरबेस पर तैनात था और उसे अहसास हुआ कि रशियन जासूस फेंसिंग पर चढ़ने की कोशिश कर रहा है। उसने इमरजेंसी अलार्म अपने नजदीकी एयरबेस को अलर्ट करने के लिए बजा दिया। सभी नजदीकी एयरबेस इस अलार्म की वजह से अलर्ट हो गए और पायलट लड़ने की लिए तैयार होकर प्लेन्स में बैठ गए। प्लेन्स हमले के लिए उड़ने ही वाले थे कि तभी उनके पास जानकारी आई कि एक ब्राउन कलर का भालू डुलुथ बेस के चारों तरफ लगी फेंसिंग पर चढ़ने की कोशिश कर रहा था।
अमेरिका और नॉर्थ कोरिया में काफी समय से तनातनी चल रही है। ये ठीक वैसी ही स्थिति है जब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीतयुद्ध चल रहा था, उस समय न्यूक्लियर वेपन दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ तैनात कर रखे थे। अब फिर से वही स्थिति अमेरिका और नार्थ कोरिया के बीच बन गई है। ऐसे में हम अापको बताने जा रहे हैं 1962 की वह घटना, जब अमेरिका और सोवियत संघ की न्यूक्लियर वेपन से लेस मिसाइलें एक दूसरे की तरफ तनी थी। एेसे में एक भालू की वजह से वह थर्ड वर्ल्ड वार होने वाला था।
क्या थी वह घटना....
1962 में अमेरिका ने अपने जासूसी हवाई जहाजों के द्वारा देखा कि सोवियत संघ, क्यूबा में मिसाइल बना रहा है। वह समय शीतयुद्ध का था जब दोनों देश, एक-दूसरे के खिलाफ न्यूक्लियर वेपन्स मिसाइलों में लगाकर उन्हें तैनात करके बैठे थे। उस समय के तत्कालीन अमेरिकी प्रेसिडेंट जॉन एफ कैनेडी ने अपनी एयरफोर्स को हाई अलर्ट पर रखा हुआ था। सिक्योरिटी बहुत हाई थी और न्यूक्लियर वेपन्स के साथ बाम्बर किसी पर भी अटैक के लिए तैयार थे।
अमेरिका के डुलुथ एयरबेस पर 25 अक्टूबर 1962 की रात को एक घटना घटी। एक गार्ड डुलुथ एयरबेस पर तैनात था और उसे अहसास हुआ कि रशियन जासूस फेंसिंग पर चढ़ने की कोशिश कर रहा है। उसने इमरजेंसी अलार्म अपने नजदीकी एयरबेस को अलर्ट करने के लिए बजा दिया। सभी नजदीकी एयरबेस इस अलार्म की वजह से अलर्ट हो गए और पायलट लड़ने की लिए तैयार होकर प्लेन्स में बैठ गए। प्लेन्स हमले के लिए उड़ने ही वाले थे कि तभी उनके पास जानकारी आई कि एक ब्राउन कलर का भालू डुलुथ बेस के चारों तरफ लगी फेंसिंग पर चढ़ने की कोशिश कर रहा था।
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