गोलकुंडा के किले को कई नामों जैसे या गोलकोण्डा गोल्ला कोंडा से बुलाया जाता है। ये किला अपने बेशकीमती हीरे जवाहरातों जैसे कोहिनूर के लिए भी फेमस है।

भारत के दक्षिण में है ये किला
भारत के दक्षिण में बना यह किला 1518-1687 के बीच गोलकुंडा के कुतब शाही साम्राज्य की मध्यकालीन सल्तनत की राजधानी था। गोलकुंडा किला हैदराबाद के दक्षिण में 11 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। यह भारत के तेलंगना राज्य में आता है। यह प्राचीन और प्रसिद्ध किला है। पूरी दुनिया में ये किला इसलिये भी प्रसिद्ध था क्योकि यहां से कई बेशकीमती चीजे मिली थी जैसे कोहिनूर हीरा, होप डायमंड, नसाक डायमंड और नूर-अल-एन आदि। हालाकि अब ये दक्षिणी भारत में, हैदराबाद नगर के पास एक दुर्ग तथा ध्वस्त नगर के रूप में ही शेष है।

किले की कहानी
इस दुर्ग का निर्माण वारंगल के राजा ने 14वीं शताब्दी में कराया था,जिसे बाद में बहमनी राजाओं के अपने अधिकार में कर लिया और ये मुहम्मदनगर के नाम से जाना जाने लगा। 1512 में यह कुतबशाही राजाओं के अधिकार में आया और वर्तमान हैदराबाद के निर्माण तक उनकी राजधानी रहा। 1687 में औरंगजेब ने इस पर विजय प्राप्त कर ली।

शानदार शिल्प का नमूना
गोलकुंडा का किला ग्रैनाइट की एक पहाड़ी पर बना है जिसमें आठ दरवाजे हैं। ये चारों ओर से पत्थर की बनी लंबी मजबूत दीवार से घिरा हुआ है। इसके महलों तथा मस्जिदों के खंडहर आज भी अपने प्राचीन गौरव की कहानी कहते हैं। किले के दक्षिण में मूसी नदी बहती है। आज भी किले के आधा मील उत्तर में कुतबशाही राजाओं के ग्रैनाइट पत्थर के बने मकबरों के भग्नावशेष देखे जा सकते हैं।
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