Saturday, 4 November 2017

आज ही शिवजी बने थे त्रिपुरारी, जानें कार्तिक पूर्णिमा का महत्‍व

कार्ति‍क पूर्णि‍मा का गुरु नानक जी के जन्म के अलावा भी महत्‍व है। यह द‍िन भगवान श‍िव के एक अवतार से भी जुड़ा है। आइए जानें इस द‍ि‍न का महत्‍व...

शि‍व जी को त्रिपुरारी नाम द‍िया गया ह‍िंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा को गुरू नानक देवजी के जन्‍मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस द‍िन को प्रकाश पर्व के नाम से भी जानते हैं। वहीं इस द‍िन के और भी आध्‍यात्‍मि‍क रूप से महत्‍व हैं। पौराणिक कथाओं में इस बात का जि‍क्र म‍िलता है क‍ि इस द‍िन भगवान श‍िव को त्रिपुरारी नाम म‍िला था। जी हां एक बार त्रिपुरासुर नामक महाबलशाली का अत्‍याचार बहुत बढ़ा था। इस दौरान सभी देवतागणों ने भगवान श‍िव से व‍िनती की थी। इस पर श‍िव जी ने उस महाबलशाली असुर का अंत इसी दिन किया था। इसके बाद सभी देवताओं ने उन्‍हें त्रिपुरारी नाम द‍िया था।


व‍िष्‍णु जी ने ल‍िया था पहला अवतार
वहीं कार्तिक पूर्णिमा में भगवान विष्‍णु की भी पूजा होती है। शास्‍त्रों के मुताबि‍क इस द‍िन ही भगवान व‍िष्‍णु ने अपना पहला अवतार ल‍िया था। पहले अवतार में व‍िष्‍णु जी मत्‍स्‍य यानी मछली के रूप में प्रकट हुए थे। इसल‍िए इस द‍िन भगवान व‍िष्‍णु की पूजा-अर्चना की जाती है। इससे व‍िशेष फल मि‍लता है। इस का महत्‍व महाभारत काल से भी जुड़ा है। मान्‍यता है क‍ि इस दिन पांडवों ने महाभारत युद्ध में मारे गए अपनों की आत्मा की शांति के लिए गढ़मुक्तेश्वर में श्राद्ध कर्म कि‍या था। 


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