Friday, 3 November 2017

युवी ने बताया नेहरा को ये कहकर बुलाते थे गांगुली, जानकर आप भी हंस पड़ेंगे

पिछले 18 बरस से लगातार मुस्कुराने वाले नेहरा जी अब क्रिकेट खेलते नजर नहीं आएंगे लेकिन उनसे जुड़ी कई कहानियां आने वाले कई साल तक क्रिकेट के मैदानों में गूंजा करेंगी। ऐसी ही कुछ किस्सों से उनके पुराने साथी और हरफनमौला खिलाड़ी युवराज सिंह ने पर्दा हटाया है। उन्होंने आशीष नेहरा की रिटायरमेंट के बाद फेसबुक पर एक लंबी पोस्ट लिखी जिसमें उनके बारे में कई ऐसी बातें लिखी गई हैं, जो हाल तक हमें नहीं पता थीं।
युवराज ने लिखा है कि सबसे पहली बात मैं जो अपने दोस्त आशु (आशीष नेहरा) के बारे में कहना चाहता हूं, वो ये कि वह बेहद ईमानदार हैं...वह दिल का बहुत साफ आदमी है। शायद पवित्र पुस्तक ही उनसे ज्यादा ईमानदार होगी। मैं जानता हूं इसे पढऩे के बाद इस बात पर कई लोगों को हैरानी हो सकती है।


ऐसा लगा उनकी पतलून में किसी ने कुछ डाल दिया है 
कई बार हम लोग जीवन को लेकर आलोचनात्मक हो जाते हैं। सार्वजनिक लोगों के लिए ये बात और लागू होती है जिन्हें कई पैमानों पर आंका जाता है। इस मामले में आशु भी कुछ लोगों से सीधी-सपाट बात करते थे और उन्हें इसका नुकसान भी उठाना पड़ा। मेरी उनसे पहली मुलाकात अंडर-19 के दिनों में हुई थी और उन्हें भारतीय टीम के लिए चुना गया था। वह हरभजन सिंह के साथ रूम शेयर कर रहे थे। मैं भज्जी से मिलने गया तो इस लंबे कद के शख्स को देखा जो आराम से नहीं बैठ सकता था। वह एक पल बैठा होता और दूसरे पल स्ट्रेच करने लगता या चेहरा बनाने लगता या फिर आंखें घुमाने लगता। मुझे ये बड़ा मजेदार लगा और लगा कि उनकी पतलून में किसी ने कुछ डाल दिया है।

ज्यादा बोलने के कारण नाम पड़ा 'पोपट' 
सौरव गांगुली ने आशु को नाम दिया 'पोपट' क्योंकि वह बहुत ज्यादा बोला करते थे। वह पानी के अंदर भी बोल सकते थे और मजाकिया भी खूब थे। मेरे लिए उन्हें कुछ बोलने की जरूरत नहीं थी। उनकी शारीरिक भाव-भंगिमाएं ही हंसाने के लिए काफी थीं। अगर आप नेहरा के साथ हैं तो आपका दिन खराब नहीं जा सकता। वह बंदा आपको हंसा-हंसा करके गिरा देगा। 

सिकाई करके और टैपिंग करके लिए छह विकेट
युवराज ने आगे लिखा कि मैंने उन्हें कभी बताया नहीं, लेकिन मैं उनसे प्रेरणा लेता रहा हूं। मैं हमेशा सोचता था कि अगर कोई शख्स 38 साल की उम्र में तमाम चोट और सर्जरी के बाद तेज गेंदबाज़ी कर सकता है तो मैं 36 साल की उम्र में बल्लेबाजी क्यों नहीं कर सकता। उनकी 11 सर्जरी हुई जिनमें कोहनी, कूल्हा, टखना, अंगुली और दोनों घुटने शामिल हैं लेकिन कड़ी मेहनत और लगन ने उन्हें आगे बढ़ाना जारी रखा। मुझे याद है, साल 2003 के विश्व कप में उनका पैर मुड़ गया था और चोट लगी। इंग्लैंड के खिलाफ अगला मैच खेलने की कोई संभावना नहीं थी लेकिन वो सभी से कहते रहे कि वह खेलना चाहते हैं। अगले 72 घंटे में उन्होंने 30-40 बार बर्फ से सिकाई की, टैपिंग कराई, दवा खाई और चमत्कारिक रूप से खेलने के लिए तैयार हो गए। बाहर की दुनिया को लगा कि उन्हें फर्क नहीं पड़ता, लेकिन हमें पता था कि उनके लिए इसके क्या मायने थे। उन्होंने 23 रन देकर छह विकेट लिए और भारत जीत गया।

बल्लेबाज होते तो 45 तक खेलते
युवराज ने लिखा कि मैं उस तब बेतहाशा हंसता हूं जब वह अपनी शानदार बल्लेबाजी का जिक्र करते हैं। उन्होंने कई बार ये दावा किया था कि अगर वह बल्लेबाज होते तो 45 साल की उम्र तक खेलते। 


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