Saturday, 23 September 2017

IAS STORY: 16 फ्रैक्चर, 8 सर्जरी, घर से निकाली गयी लेकिन हार नहीं मानी और बन गई IAS ऑफिसर

उम्मुल खेर एक ऐसा नाम है जिसे जितना सलाम किया जाए उतना कम है, इन्हें ओस्टियोपोरोसिस नाम की बीमारी है जिससे उनकी हड्डिया आसानी से टूट जाती है, 28 साल की उम्र होते होते इनके 16 बार फ्रैक्चर हो चुके है जिनमे 8 बार इन्हें सर्जरी का सामना करना पड़ा | बीमारी की ऐसी कंडीशन, गरीबी के कारण घर के बिगड़े हुए हालात और अपनों ने उसे घर से बाहर तक निकाल दिया था, पढाई करने के कारण लेकिन हम सैल्यूट करते है इस लड़की की हिम्मत को इतना कुछ सहकर भी इसने अपना आईएएस बनने का सपना कभी नहीं छोड़ा और 2017 में आये सिविल सर्विसेज के रिजल्ट्स में 420 रैंक प्राप्त करके अपने सारे बुरे हालातो को हारने पर मजबूर कर दिया |

उम्मुल खेर का बचपन राजस्थान के पाली मारवाड़ में बिता, ये इतने गरीब थे की 2 वक़्त की रोटी तक जुटाना मुश्किल हो गया था | ये तीन भाई बहन थे, इनके पिताजी कमाने के लिए दिल्ली चले गए तो इनकी माँ को मानसिक बीमारी हो जिसकी वजह से उनका काम छूट गया, इनके पिताजी ने इन सबको दिल्ली बुला लिया, जहा पर निजामुद्दीन इलाके की झुग्गी झोपड़ियो में रहने लगे, 2001 में इन झोपड़ियो को भी हटा दिया गया, फिर ये बेघर हो गए |
जब उम्मुल 7वी क्लास में थी उस समय आसपास के बच्चो को 50 रूपये महिना लेकर ट्यूशन पढ़ाती थी | ये जब कभी भी चलते हुए गिर जाती थी तो इनके शारीर की कोई भी हड्डी टूट जाती थी जिसके चलते इन्हें ज्यादातर टाइम हॉस्पिटल में बिताना पड़ता था, लेकिन इन्होने सुन रखा था की इस देश की सबसे कठिन परीक्षा आईएएस होती है इसलिए ठान लिया की अब तो चाहे कुछ भी हो जाये, बनुगी तो आईएएस| इतने कठिन परिस्थितयो में भी 10 वी क्लास में इनकी 91% बनी और 12 वी क्लास में 89% बनी | कॉलेज में एडमिशन को लेकर इनके मन में हमेशा डर था क्योकि बसों में सफ़र करने से इनकी हड्डिया टूट सकती थी, लेकिन फिर इन्होने हिम्मत नहीं हारी और कॉलेज में एडमिशन ले लिया |
परिचय
वर्ष 2004 से 2008 अर्वाचीन भवन सीनियर सेकेंड्री स्कूल से 10वीं 12वीं की पढ़ाई
वर्ष 2010 से डीयू से एप्लाइड मनोविज्ञान से स्नातक
वर्ष 2013 में जेएनयू से पॉलिटिक्स व इंटरनेशनल रिलेशंस में स्पेशलाइजेशन विषय से परास्नातक
वर्ष 2016 में जेएनयू से इंटरेनेशनल स्टडीज विषय से एमफिल
वर्तमान में जेएनयू से ही इंटरनेशनल स्टडीज पर शोध जारी
उम्मुल की कुछ उपलब्धियां
बीए की पढ़ाई के दौरान साउथ कोरिया में डिसेबल लोगों के कार्यक्रम में भारत का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 2012 में अमेरिका के तत्कालीन सेकेट्री जनरल बंकी मून से मिली
वर्ष 2013 में भारतीय महिला आयोग से रोल मॉडल का सम्मान मिला
वर्ष 2014 से वर्तमान में वह डस्किन लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम का हिस्सा हैं। वह इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने वाली तीसरी भारतीय महिला हैं।
दिव्यांगों और शारीरिक दुर्बलताओं से जूझ रहे लोगों के लिए वह भारत का जापान में भी प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं।
मुझे उम्मीद है की आप लोगो में भी कुछ लोग हालात के आगे अपनी हार मान चुके होंगे लेकिन क्या आपके हालत उम्मुल से भी ज्यादा ख़राब है, हमें कमेंट करके बताये

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