जब किसी मनुष्य की मृत्यु निकट होती है. तो उस मनुष्य को यमदूत दिखे शरू हो जाते है. जब भगवान जब प्राणी के सामने आते है. तो प्राणी पहले तो हैरान होकर भगवान को एकटक निहारता रहा है. फिर बोलता है. नहीं भगवन मुझे अभी नहीं जाना आपके साथ, मुझे धरती पर रहना है. और बहुत से काम पूरे करने हैं.
आपके हाथ में यह जो बैग है. इसमें क्या h
भगवान बोले,आपका सामान।
प्राणी उत्तेजित होता हुआ बोला मेरा सामान यानि मेरी जरूरत की वस्तुएं और धन-दौलत।
भगवान ने मुस्कराते हुए कहा, पुत्र ये पृथ्वी से सम्बंधित सामान नहीं है।
प्राणी बोला, फिर मेरे सारे जीवन की मधुर यादें होंगी।
भगवान ने जबाव दिया, वे तो कभी तुम्हारी थी ही नहीं वे तो समय से उत्पन्न हुई थी और समय में ही समा कर धुमिल हो गई।
प्राणी बोला, तो अवश्य ही ये मेरी बुद्धिमत्ता होगी।
भगवान ने फिर कहा, वह भी तुम्हारी नहीं थीं वो तो परिस्थितियों की जननी थी।
प्राणी खुश होते हुए पुन: बोला, तो इसमें मेरे परिवार और सगे-संबंधी हैं।
भगवान फिर मुस्कराए और बोले, उनसे तो कभी तुम्हारा कोई संबंध था ही नहीं वह तो तुम्हें राह में मिले और पल भर का रिश्ता बन गया जोकि पानी के एक बुलबुले के समान था।
प्राणी बोला, फिर तो निश्चित तौर पर यह मेरी देह होगी।
भगवान ने कहा, वह तो कभी तुम्हारी हो ही नहीं सकती क्योंकि वह तो मिट्टी है।
प्राणी बोला, अच्छा तो फिर यह मेरी आत्मा होगी।
भगवान ने कहा, वह तो सदा से ही मेरी थी उसमें मैं ही समाहित था प्राणी बहुत डर गया उसने लपक कर भगवान के हाथ से बैग खिंच लिया और उसे जल्दी से खोला की आखिर उसमें है. क्या? बैग बिल्कुल खाली था प्राणी जोर-जोर से रोने लगा और बोला, भगवन मेरे पास कुछ भी नहीं है. भगवान ने जबाव दिया,जीवन का प्रत्येक क्षण जो तुमने अपनी इच्छा के अनुसार जीया वही सत्य था केवल वही तुम्हारा था, अब सिर्फ तुम्हारे कर्म तुम्हारे साथ है।
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