Friday, 17 November 2017

जानें, क्रिकेट के इन पुराने नियमों से शायद आप वाकिफ हो

हाल ही में आइसीसी ने क्रिकेट के कुछ नियमों में बदलाव किया है। आइसीसी क्रिकेट की लोकप्रियता को बढ़ाने और उसमें फैंस की दिलचस्पी बरकरार रखने के लिए थोड़े-थोड़े समय के बाद ऐसा करती रहती है। क्रिकेट के कुछ नियम तो ऐसे हैं। जिनके बदल जाने का बावजूद भी फैंस को वो याद हैं। चलिए जानते हैं ऐसे ही कुछ नियमों के बारे में।



6 दिन का टेस्ट मैच
सन 1980 से पहले टेस्ट मैच छह ही दिन के हुआ करते थे। पांच दिन मैच के और एक दिन रेस्ट का। लेकिन 1980 के बाद इस नियम को बदल दिया गया और रेस्ट डे को खत्म कर दिए जाने से टेस्ट मैच पांच दिनों का हो गया।

60-60 ओवर का वनडे मैच
वनडे क्रिकेट की शुरुआत 1971 में हुई। तब एकदिवसीय मैचों में एक पारी 60 ओवर की हुआ करती थी। लेकिन 1977 में इस नियम में बदलाव कर 60 ओवर की जगह 50 ओवर का कर दिया गया। पहला 50 ओवर (6 गेंद प्रति ओवर) का मैच पाकिस्तान और वेस्टइंडीज के बीच खेला गया था।

बाउंसर के नियमों में भी हुए बदलाव
वनडे क्रिकेट की शुरुआत में पहले एक ओवर में सिर्फ एक बाउंसर फेंकी जा सकती थी दूसरी बाउंसर को नो-बॉल करार दे दिया जाता था। लेकिन हाल ही में आइसीसी ने इसे बदलते हुए बाउंसर की संख्या बढ़ा दी है। यानी कि अब कोई भी गेंदबाज एक ओवर में दो बाउंसर फेंक सकता है।

बदला गेंदों के इस्तेमाल का भी अंदाज़
वनडे क्रिकेट में गेंदों को लेकर भी नियमों में बदलाव किए गए हैं। पहले भी वनडे क्रिकेट में दो ही गेंदों का प्रयोग किया जाता था। लेकिन उनका इस्तेमाल अलग तरह से किया जाता था। पहले शुरुआती 30 ओवर तक तो दो गेंदों का इस्तेमाल किया जाता था। आखिर के 20 ओवरों में किसी एक गेंद से मैच खेलना होता था। लेकिन अब ये नियम बदल गया है। वनडे क्रिकेट में अब दोनों साइड से अलग-अलग गेंदों से मैच खेला जाता है।

पॉवरप्ले का नियम भी बदला
पहले वनडे क्रिकेट में 15 ओवर तक सिर्फ दो ही खिलाड़ी 30 यार्ड के घेरे के बाहर रह सकते थे। 1996 विश्व कप में श्रीलंका के दोनों ओपनर रोमेश कालूविथार्ना और सनथ जयसूर्या ने इन 15 ओवरों का ऐसा फायदा उठाना शुरु किया कि क्रिकेट में पहले 15 ओवरों के मायने ही बदल गए। ये दोनों ही विरोधी टीमों पर मैच की शुरुआत से ही तेज-तर्रार हमले करने की रणनीति को दुनिया के सामने लाए और नतीज़ा ये हुआ कि श्रीलंका की टीम 1996 का विश्व कप भी जीत गई।
अब एकदिवसीय मैचों में तीन पॉवरप्ले होते हैं। पहला पॉवरप्ले 1-10 ओवर तक होता है जिसमें सिर्फ दो खिलाड़ी ही 30 यार्ड सर्किल से बाहर होते हैं। दूसरा पॉवरप्ले 11-40 ओवर तक, इसमें 4 खिलाड़ी 30 यार्ड सर्किल से बाहर होते हैं। तीसरा पॉवरप्ले 41-50 ओवर का होता है। इसमें 30 यार्ड सर्किल के बाहर 5 फील्डर रख सकते हैं।

टी-20 का ये यादगार नियम भी गया बदल
टी-20 क्रिकेट तो रोमांच से भरपूर है और आइसीसी ने इसे और रोमांचक बनाने के लिए इसमें भी बदलाव कर दिए हैं। 2007 टी-20 विश्व कप में भारत और पाकिस्तान का मैच टाई होने के बाद दुनिया ने पहली बार वो कमाल देखा जब मैच टाई होने के बाद भी मैच का निर्णय निकल गया और ये रिजल्ट निकला बॉल आउट से। बॉल आउट में एक टीम को विकेट हिट करने के लिए पांच मौके दिए जाते थे और पिच पर गेंदबाज़ तो गेंद फेंकता था लेकिन कोई बल्लेबाज़ वहां पर नहीं होता था और गेंदबाज़ को सिर्फ विकेट चटकानी होती थी। जो भी टीम स्टंप्स को ज़्यादा पर हिट करती वो मैच की विजेता बन जाती।
लेकिन आइसीसी ने क्रिकेट के इस सबसे छोटे फॉर्मंट को और भी ज़्यादा मजेदार बनाने के लिए इसमें भी बदलाव कर दिया है। अब मैच टाई होने के बाद सुपर ओवर से मैच का निर्णय निकाला जाता है।

रसगुल्ले के बाद अब इन मिठाइयों पर दावे की बंगाल की तैयारी

रसगुल्ले पर ओडिशा के साथ लंबी लड़ाई के बाद पश्चिम बंगाल को जीत मिली है। वहीं अब पश्चिम बंगाल के कई और मिठाइयों पर दावा ठोंकने की तैयारी शुरू हो गई है। पश्चिम बंगाल सरकार चार बंगाली पारंपरिक मिठाइयों के लिए भौगोलिक पहचान (जीआइ) टैग हासिल करने पर विचार कर रही है।

इन मिठाइयों में दक्षिण 24 परगना जिले के जयनगर में धान के लावे से तैयार होने वाला मोआ, नदिया जिले के कृष्णनगर में दूध की क्रीम से तैयार होने वाले सरभाजा सरपुरिया तथा बद्र्धमान का चावल-बेसन, खोवा व छेना से तैयार होने वाले सीताभोग और मिहीदाना तथा शक्तिगढ़ का खोवा व छेना से तैयार होने वाला लेंचा प्रमुख है।
रसगुल्ले के बाद अब इन मिठाइयों के निर्माता से लेकर मिठाई प्रेमी लोग मांग करने लगे हैं कि इन सभी उत्पादों पर भी दावा ठोककर जीआइ टैग लिया जाए ताकि न केवल इन मिठाइयों की नकल पर लगाम लग सके, बल्कि इन्हें भविष्य में निर्यात भी किया जा सके। जीआइ पंजीकरण मिलने से उक्त उत्पाद का ईजाद कहां हुआ है इसका पता चलता है। पश्चिम बंगाल सरकार भी अब इन मिठाइयों को लेकर गंभीर है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शक्तिगढ़ में ममता सरकार ने लेंचा हब तैयार करने की घोषणा पहले से ही कर रखी है।
रसगुल्ले को लेकर फिर से दावा ठोंकेगा ओडिशा
रसगुल्ले की भौगोलिक पहचान (जीआइ) पश्चिम बंगाल के खाते में चली गई, लेकिन ओडिशा सरकार हार मानने को तैयार नहीं है। ओडिशा सरकार के प्रवक्ता सूर्य नारायण पात्र का कहना है कि लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। फिर से हमलोग दावा ठोंकेंगे। वहीं ओडिशा भाजपा के नेता सज्जन शर्मा का कहना है कि राज्य सरकार की उदासीनता की वजह से पश्चिम बंगाल को रसगुल्ले का जीआइ टैग मिल गया है। पश्चिम बंगाल सरकार अब रसगुल्ले का पेटेंट कराने की तैयारी में है।


डंडे के बल पर गुलदार के जबडे से मां को खींच लाया अर्जुन

अपनी मां को बचानेे के लिए टिहरी का अर्जुन गुलदार से भिड़ गया। 17 वर्षीय अर्जुन ने डंडे के बल पर गुलदार को खदेड़ दिया।

मां को बचाने के लिए डंडे के बल पर गुलदार से भिड़ने वाले बडियार मालगांव निवासी अर्जुन सिंह पूरे टिहरी सहित पूरे क्षेत्र में वीरता का प्रतीक है। इस बाल दिवस दैनिक जागरण अर्जुन की बहादुरी को सलाम करता है।  
मामला 16 जुलाई, 2014 का है। जब रात के आठ बजे घर के आंगन में धमके गुलदार ने अर्जुन की मां विक्रमा देवी पर हमला कर दिया। यह देख अर्जुन ने डंडा उठाया और मां को बचाने के लिए गुलदार पर हमला बोल दिया। इससे घबराकर गुलदार को भागना पड़ा। इस दिलेरी के चलते राजकीय इंटर कॉलेज मथकुड़ीसैंण में कक्षा 12 में पढ़ रहे 17 वर्षीय अर्जुन का चयन राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए किया गया। 

विकासखंड भिलंगना के बडियार मालगांव के अर्जुन सिंह की विक्रमा देवी राजकीय इंटर कालेज मथकुड़ीसैंण में भोजनमाता है। पति के मौत के बाद विक्रमा देवी ने ही चारों बच्चों की परवरिश की। 

इंटरनेट टेलीफोनी के जरिए बिना नेटवर्क भी यूजर्स कर पाएंगे वॉयस कॉल

यूजर्स के बीच टेलिकॉल का क्रेज बढ़ता जा रहा है। इसी को देखते हुए टेलिकॉम रेग्यूलेटरी यानी ट्राई एक खास सेवा की शुरुआत करने जा रही है। इस नई सर्विस से यूजर्स ऑफिस या पब्लिक वाई-फाई के इस्तेमाल से किसी भी मोबाइल या लैंडलाइन नंबर पर कॉल कर पाएंगे। इसके लिए स्मार्टफोन में सिग्नल का होना भी जरुरी नहीं है। इस सेवा के लिए ट्राई ने अनुमति दे दी है।

दूरसंचार कंपनियां कर रही विरोध:
टेलिकॉम सेक्टर की मौजूदा कंपनियां ट्राई के इस कदम का विरोध कर रही हैं। कंपनियों का विरोध इस बात पर है कि इस सर्विस के जरिए बिना मोबाइल नेटवर्क के और खराब नेटवर्क होने के बाद भी कॉल की जा सकेगी। जबकि ट्राई का यह कहना है कि उसका यह कदम यूजर्स को बेहतर सर्विस देने के लिए उठाया गया है। क्योंकि कई बार यूजर्स नेटवर्क न होने या खराब होने के चलते अहम कॉल्स नहीं पाते हैं।
कॉल्स की सफलता दर में होगी बढ़ोतरी:
ट्राई के मुताबिक, यह सर्विस वॉयस कॉल का एक प्रभावी विकल्प साबित होगा। इससे वॉयस कॉलिंग की सफलता दर में बढ़ोतरी होने की पूरी उम्मीद है। खासतौर से यह सर्विस खराब या लो नेटवर्क क्षेत्रों में काफी कारगर साबित होगी जहां इंटरनेट सर्विस तो उपलब्ध रहती है लेकिन मोबाइल नेटवर्क नहीं आते हैं। वहीं, टेलिकॉम कंपनियों के विरोध पर ट्राई ने असहमति जताई है। ट्राई का कहना है कि इससे यूजर्स को कॉल करने के लिए ज्यादा विकल्प मिलेंगे।
रेवन्यू पर पड़ रहा असर:
टेलिकॉम कंपनियों का मानना है कि स्मार्टफोन और टैबलेट्स की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। इससे एप आधारित वॉयस ट्रैफिक से भी रेवन्यू पर खासा असर पड़ा है। ऐसे में अगर यह सर्विस भी शुरू कर दी जाती है तो इससे कंपनियों पर और दवाब बन जाएगा।

बदली सोच बनी प्रेरणा: नवजात बेटे को गोद देकर बेटी को अपनाया

हरियाणा में बेटियों के प्रति सोच मे बदलाव आ रहा है। फतेहाबाद के किरढाना में एक दंपती ने बेटा पैदा होने पर उसे अन्‍य दंपती को गोद दे दिया और उनकी बेटी को अपना लिया।
फतेहाबाद [मणिकांत मयंक]। समाज वाकई बदल रहा है। इसके साथ बदल रही है लोगों की सोच और बेटियों के प्रति नजरिया। वह भी ऐसे समाज के लोगों का, जहां बेटों की चाह में बेटियों को कोख में ही मार दिया जाता है। इस माहौल के बीच सोच में बदालाव की रोशनी भी दिख रही है। एेसी की नई सोच के प्रतिनिधि हैं जिले के किरढान गांव के अनूप सिंह और उनकी पत्‍‍नी सीता। दोनों ने अपने नवजात बेटे को किसी और दंपती को गाेद दे दिया और उनकी बेटी को गोद ले लिया।

इस दंपती ने बेटी की चाह में दूसरे बच्चे को जन्म देने का फैसला लिया। ले‍किन, इस बार भी बेटा ही पैदा हुआ। इसके बाद इस दंपती ने मिसाल कायम करते हुए अपने नवजात बेटे के बदले बेटी गोद ले ली। उनका बेटा जिनकी गोद में गया है, उनकी भी चाहत पूरी हो गई। दूसरा परिवार हिसार के गांव किशनगढ़ का रहने वाला है।
दोनों परिवार एक ही समाज से हैं, लेकिन आपस में पहले से कोई रिश्तेदारी व जान-पहचान नहीं थी। अस्पताल में ही दोनों परिवारों का परिचय हुआ। मगर आज दोनों परिवारों के बीच कोई गहरा रिश्ता कायम हो गया है।
हुआ यूं कि भट्टूकलां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में गांव किशनगढ़ (हिसार) निवासी भूप सिंह की पत्नी रेनू को डिलीवरी के लिए लाया गया था।
दोनों के पहले से तीन बेटियां हैं। उनकी हसरत थी कि बेटियों का एक भाई हो। ले‍किन,11 नवंबर को डिलीवरी हुई तो घर में लक्ष्मी आई। अगले दिन महिला को अस्पताल से छुट्टी भी मिल गई। इसके दो दिन बाद 14 नवंबर को किरढ़ान निवासी अनूप सिंह की पत्‍नी सीता  ने बेटे को जन्म दिया। हालांकि परिवार की इच्छा बेटी की थी।
सीता के ससुर लालचंद ने बताया कि उसके लड़की नहीं हुई थी, इसलिए चाह थी कि उसके घर पोती जन्म ले। इसी बीच उन्हें पता चला कि किशनगढ़ के एक दंपती को बेटे की चाहत थी अौर उनके बेटी पैदा हो गई। बस, यहीं से उनके मन में एक विचार आया। इसके बाद अनूप सिंह के परिवार ने भूप सिंह से संपर्क किया। अनूप में भूप के समक्ष प्रस्‍ताव रखा कि वह उनके बेटे को गोद ले ले और अपनी बेटी उसे गोद दे दी। दोनों में इस पर सहमति बन गई। अनूप ने भूप सिंह की लड़की गोद ले ली और अपना नवजात बेटा भूप को गोद दे दिया।
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कानूनी प्रक्रिया बाद में पूरी करेंगे
हालांकि स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में सीता को लड़का व रेनू को लड़की पैदा होने की बात दर्ज है और इनका आधार कार्ड भी यही बनेगा। गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया बाद में पूरी की जाएगी। लालचंद कहते हैं कि बेटियों के बिना आंगन ही सूना नजर आता है।
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कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी होगी : एडॉप्शन अफसर
एडॉप्शन अफसर पूनम बताती हैं कि बच्चा गोद लेने की एक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के तहत पहले तो सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) की वेबसाइट में पंजीकरण करवाना पड़ता है। फिर कोर्ट से विधिवत आदेश लेना पड़ता है। इस कोर्ट आर्डर को भी कारा की वेबसाइट पर डाउनलोड करना पड़ेगा। तब जाकर कारा से मंजूरी मिलेगी। इसमें बच्चों का भी कल्याण सन्निहित है।

ऐसे मनाया बच्चन परिवार ने क्यूट आराध्या का बर्थडे, देखें तस्वीरें

गुरुवार को अमिताभ बच्चन की ग्रैंड स्टारडॉटर आराध्या बच्चन का बर्थडे मनाया गया। अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन की यह लाडली बेटी छह साल की हो गयी हैं! इस मौके पर बर्थडे की शाम पूरा बच्चन परिवार एक पंच सितारा हॉटेल में जुटा और बिटिया आराध्या का जन्मदिन सेलिब्रेट किया।
इस पहली तस्वीर में आप देख सकते हैं बेटी आराध्या बिल्कुल किसी परी सी लग रही हैं! इस पिंक ऑउटफिट में आराध्या बहुत ही प्यारी लग रही हैं!

इससे पहले आपको याद होगा अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन दोनों ने ही सोशल मीडिया पर आराध्या की तस्वीरें शेयर कर उन्हें बर्थडे की बधाई दी थी। आराध्या तमाम स्टार किड्स के बीच काफी पॉपुलर हैं। इस एल्बम में हम आपको दिखायेंगे प्यारी आराध्या के बर्थडे पार्टी की पांच बेहतरीन फोटो!
इसके अलावा क्या आप जानते हैं पिछले दिनों ऐश्वर्या राय बच्चन जब कांस महोत्सव में भाग लेने गयीं थीं तब भी आराध्या उनके साथ थीं। हाल के दिनों में भी इलाहबाद से लेकर कई शहरों में आराध्या परिवार के साथ नज़र आयीं। आराध्या बच्चन परिवार की लाडली हैं।

बॉलीवुड ही नहीं देश की सबसे पॉपुलर स्टार डॉटर आराध्या का जन्म 6 नवंबर, 2011 को हुआ था। बिग बी ने आराध्या के जन्मदिन के मौके पर उन्हें बधाई देने वाले फैन्स को धन्यवाद कहा है। अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग पर भी पोती के जन्मदिन पर दो तस्वीरें साझा करते हुए, इस खास दिन से जुड़ी हसीन यादों को फैन्स के साथ शेयर किया। उन्होंने लिखा, "उसकी मौजूदगी घर में खुशियां लाती है और वातावरण में वह खुद को उज्‍जवल और मनोहर रूप से पेश करती है।" बिग बी आगे लिखते है, "हमसे वह बड़ों की तरह बातें करती है जबकि वह केवल छह साल की है।" अगली तस्वीर वो जो बिग बी ने शेयर किया है! आराध्या के बर्थडे पार्टी में अमिताभ बच्चन भी अलग अंदाज़ में दिखे! आइये देखते हैं तस्वीरें..







इंटरनेट टेलीफोनी के जरिए बिना नेटवर्क भी यूजर्स कर पाएंगे वॉयस कॉल

यूजर्स के बीच टेलिकॉल का क्रेज बढ़ता जा रहा है। इसी को देखते हुए टेलिकॉम रेग्यूलेटरी यानी ट्राई एक खास सेवा की शुरुआत करने जा रही है। इस नई सर्विस से यूजर्स ऑफिस या पब्लिक वाई-फाई के इस्तेमाल से किसी भी मोबाइल या लैंडलाइन नंबर पर कॉल कर पाएंगे। इसके लिए स्मार्टफोन में सिग्नल का होना भी जरुरी नहीं है। इस सेवा के लिए ट्राई ने अनुमति दे दी है।

दूरसंचार कंपनियां कर रही विरोध:
टेलिकॉम सेक्टर की मौजूदा कंपनियां ट्राई के इस कदम का विरोध कर रही हैं। कंपनियों का विरोध इस बात पर है कि इस सर्विस के जरिए बिना मोबाइल नेटवर्क के और खराब नेटवर्क होने के बाद भी कॉल की जा सकेगी। जबकि ट्राई का यह कहना है कि उसका यह कदम यूजर्स को बेहतर सर्विस देने के लिए उठाया गया है। क्योंकि कई बार यूजर्स नेटवर्क न होने या खराब होने के चलते अहम कॉल्स नहीं पाते हैं।
कॉल्स की सफलता दर में होगी बढ़ोतरी:
ट्राई के मुताबिक, यह सर्विस वॉयस कॉल का एक प्रभावी विकल्प साबित होगा। इससे वॉयस कॉलिंग की सफलता दर में बढ़ोतरी होने की पूरी उम्मीद है। खासतौर से यह सर्विस खराब या लो नेटवर्क क्षेत्रों में काफी कारगर साबित होगी जहां इंटरनेट सर्विस तो उपलब्ध रहती है लेकिन मोबाइल नेटवर्क नहीं आते हैं। वहीं, टेलिकॉम कंपनियों के विरोध पर ट्राई ने असहमति जताई है। ट्राई का कहना है कि इससे यूजर्स को कॉल करने के लिए ज्यादा विकल्प मिलेंगे।
रेवन्यू पर पड़ रहा असर:
टेलिकॉम कंपनियों का मानना है कि स्मार्टफोन और टैबलेट्स की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। इससे एप आधारित वॉयस ट्रैफिक से भी रेवन्यू पर खासा असर पड़ा है। ऐसे में अगर यह सर्विस भी शुरू कर दी जाती है तो इससे कंपनियों पर और दवाब बन जाएगा।

Wednesday, 15 November 2017

तस्वीरों के जरिए जानें, भगवान शिव के ये आभूषण देते हैं किन बातों का संदेश

शिव त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव भी कहते हैं। इन्हें महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। तस्वीरों में जानिए शिव के इस स्वरूप को।

तीसरी आंख
शिव की जो तस्वीर हमारे मस्तिष्क में अंकित है उसमें शिव को तीन नेत्रों वाला दिखाया गया है। माना गया है कि मनुष्य की दो आँखें सांसारिक वस्तुओं को दर्शाता है। वहीं शिव की तीसरी नेत्र सांसारिक वस्तुओं से परे संसार को देखने का बोध कराती है। यह एक दृष्टि का बोध कराती है जो पाँचों इंद्रियों से परे है। इसलिये शिव को त्रयंबक कहा गया है।

सर्प है कुंडलिनी
योग में सर्प को कुंडलिनी का प्रतीक माना गया है। इस अंदरूनी उर्जा का दर्ज़ा हासिल है जिसका प्रयोग अब तक नहीं हुआ है। कुंडलिनी के स्वभाव के कारण ही उसके अस्तित्व का पता नहीं चल पाता। इंसान के गले के गड्ढ़े में विशुद्धि चक्र होता है जो बाहर के हानिकारक प्रभावों से आपके शरीर को बचाता है। साँप में जहर होता है और विशुद्धि चक्र को छलनी की संज्ञा दी गयी है।

जीवन के तीन पहलुओं का प्रतिबिंब है त्रिशूल
शिव का त्रिशूल मानव शरीर में मौजूद तीन मूलभूत नाड़ियों बायीं, दाहिनी और मध्य का प्रतिबिंब है। इनसे 72,000 नाड़ियाँ निकलती हैं। सजगता की स्थिति में यह बात महसूस की जा सकती है कि उर्जा की गति अनियमित न होकर निर्धारित पथों यानी 72,000 नाड़ियों से होकर गुजर रही है।

नंदी है सजगता के साथ प्रतीक्षा का प्रतीक
प्रतीक्षा ग्रहणशीलता का मूल तत्व है और नंदी को इसका प्रतीक माना गया है। नंदी में ग्रहणशीलता के गुण है और वो शिव के करीब हैं। नंदी को सक्रिय और सजग माना गया है जो सुस्त नहीं हैं और जिनके अदंर जीवन है। भारतीय संस्कृति में योग भी सक्रियता का उद्यम माना गया है।

सोम का अर्थ केवल चंद्रमा नहीं
भगवान शिव को सोम भी कहा गया है सोम का पर्याय नशा भी होता है। नशे में रहने के लिये केवल मय या अन्य भौतिक वस्तुओं की जरूरत नहीं होती। इंसान अपने जीवन में मदमस्त होकर भी नशे में रह सकता है। नशे का आनंद उठाने के लिये सचेतावस्था में रहना आवश्यक है। वहीं, चंद्रमा को भी सोम कहा गया है जिसे नशे का स्रोत माना गया है। भगवान शिव चंद्रमा को आभूषण की तरह पहनते है। चंद्र धारण करने वाले शिव अपने जीवन में योगी की तरह मस्त रहते हैं जो जीवन का आनंद तो उठाता है लेकिन किसी क्षणिक आनंद को स्वयं पर हावी नहीं होने देता।

Monday, 13 November 2017

अगर आपने भी खरीदा है जियो फोन तो ये 7 टिप्स आ सकते हैं आपके काम

हम अपनी इस खबर में आपको जियो फोन के बारे में कुछ टिप्स और ट्रिक्स बता रहे हैं जो आपको जियो फोन की सेटिंग करने में मदद करेंगी

 जियोफोन के बाजार में आने के बाद से यूजर्स एक बार फिर से फीचर फोन की ओर आकर्षित होने लगे हैं। इस फोन में कई ऐसे फीचर्स दिए गए हैं जो स्मार्टफोन में मौजूद होते हैं। अगर आपको भी जियो फोन मिल गया है तो उसके यूजर इंटरफेस से अभी तक आप अच्छे से परिचित हो चुके होंगे। हालांकि, फोन में कुछ हिडेन फीचर्स मौजूद है जो आपको आसानी से दिखाई नहीं देंगे। इन्हें आपको फोन की सेटिंग में जाकर खोजना होगा। हम अपनी इस खबर में आपको जियो फोन के बारे में कुछ टिप्स और ट्रिक्स बता रहे हैं जो आपके लिए मददगार साबित होंगी।

जियो फोन पर जीमेल कॉन्टैक्ट को कैसे करें इंपोर्ट-
नया फोन लेते ही हम सबसे पहले अपने कॉन्टैक्ट्स को पुराने फोन से नए फोन में ट्रांसफर या इंपोर्ट करते हैं। इसके लिए सबसे पहले अपने जियो सिम में सेव रखे कॉन्टैक्ट्स को फोन में कॉपी करें। वही, अगर आपके कॉन्टैक्ट्स गूगल या माइक्रोसॉफ्ट अकाउंट में मौजूद हैं तो उन्हें जियो फोन में कॉपी या सेव करना आसान नहीं है।
इसके लिए अपने गूगल अकाउंट से जियो फोन पर कॉन्टैक्ट इंपोर्ट करने के लिए फोन में कॉन्टैक्ट एप को ओपन करें। अब दायीं ओर नजर आ रही सेटिंग्स में जाएं। सेटिंग में नीचे स्क्रॉल करके इंपोर्ट कॉन्टैक्ट्स को सेलेक्ट करें। यहां आपको जीमेल का विकल्प दिखाई देगा, उसे चुनें। अब आपसे जीमेल आईडी और पासवर्ड की जानकारी मांगी जाएगी। जीमेल आईडी और पासवर्ड देने के बाद आपको KAI OS को एक्सेस देना होगा। अब आप जब भी फोन में कॉन्टैक्ट अकाउंट को ओपन करेंगे आपको गूगल कॉन्टैक्ट दिखाई देगा। ध्यान रहे कि आपके जियो फोन में स्मार्टफोन की तरह जीमेल एड्रेस बार-बार सिंक नहीं होता।
ठीक इसी तरह, आउटलुक कॉन्टैक्ट से भी आप कॉन्टैक्ट को इंपोर्ट कर सकते हैं। इसके लिए आपको इंपोर्ट कॉन्टैक्ट में आउटलुक ऑप्शन को चुनना होगा। अब कॉन्टैक्ट को सिंक करने के लिए अपना अकाउंट आईडी और पासवर्ड देना होगा।
कॉल फॉरवर्डिंग का तरीका:
यदि आप अपने जियो फोन में कॉल फॉरवर्डिंग फीचर का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो फोन की सेटिंग में जाएं। सेटिंग में नेटवर्क एंड कनेक्टिविटी टैब में कॉल सेटिंग्स को ओपन करें। अब नीचे स्क्रॉल कर कॉल फॉरवर्डिंग में जाएं। अब अपनी जरुरत के मुताबिक विकल्प को चुनें। बता दें कि इस फीचर को ऑन करने के लिए आपको दूसरा नंबर भी देना होगा जिस पर आपकी कॉल को फॉर्वड किया जाएगा।
खुद को ट्रैक करने से रोकें:
क्या आप जानते हैं कि जियो फोन का डिफॉल्ट वेब ब्राउजर दूसरे ब्राउजर की तरह ही आपकी ऑनलाइन एक्टिविटी को ट्रैक कर सकता है। इसके आधिकारिक एप में आप अपनी हिस्ट्री को डिलीट करने का विकल्प नहीं खोज पाएंगे। इसके लिए जियो फोन की सेटिंग में जाएं और Privacy & Security टैब को चुनें। यहां आपको ब्राउंजिंग प्राइवेसी का ऑप्शन दिखाई देगा। यहां से आप अपनी ब्राउंजिंग हिस्ट्री और स्टोर किए गए डाटा को डिलीट कर सकते हैं। साथ ही, आपको यहां डू नॉट ट्रैक का विकल्प दिखेगा जिससे आप वेबसाइट या एप पर ट्रैक करने पर रोक लगा सकते हैं।
स्क्रीन लॉक को करें सेटअप
आपकी फोन को कोई दूसरा इस्तेमाल न सके इसके लिए आप अपने जियो फोन में पासकोड लॉक सेट कर सकते हैं। इसके लिए, सेटिंग एप को ओपन करें और Privacy & Security में जाएं। अब स्क्रीन लॉक को सेलेक्ट करें। इसमें स्क्रीन लॉक को एक्टिव करने के लिए इसे ऑन करें। अब आपको डिवाइस में नया स्क्रीन लॉक चुनने को कहा जाएगा। आपको चार डिजिट का पासकोड देना होगा और OK पर क्लिक करना होगा। अब आपके फोन में पासकोड सेट हो गया है। इसके बाद आप जब भी फोन को अनलॉक करेंगे आपको पासकोड को एंटर करना होगा।
USB की मदद से जियो फोन में कैसे करें फाइल स्टोरेज:
अपने जियो फोन में किसी स्टोरेज डिवाइस से फाइल ट्रांसफर करने के लिए आपको इसके सेटिंग में जाकर कुछ बदलाव करने होंगे। आप जियो फोन में किसी फाइल स्टोरेज से ट्रांसफर नहीं कर पाएंगे ऐसा इसलिए क्योंकि यह विकल्प जियो फोन में डिफॉल्ट रूप से ऑफ किया गया है। इसके लिए आपको फोन की सेटिंग में स्टोरेज में जाना होगा। यहां USB स्टोरेज ऑप्शन को चुनें। यहां इनेबल ऑप्शन को चुनें। अब आप USB केबल की मदद से फाइल ट्रांसफर कर पाएंगे।
बदल सकते है इंटरफेस भाषा:
जियो फोन 22 भाषाओं को सपोर्ट करता है। इनमें अंग्रेजी, हिंदी, मराठी, बंगाली और दूसरी भाषाएं भी शामिल हैं। इंटरफेस की भाषा को बदलने के लिए फोन की सेटिंग में पर्सनलाइजेशन टैब को चुनें। अब आप लैंग्वेज ऑप्शन में जाएं और OK पर क्लिक करें। फिर अपनी पसंद की लैंग्वेज को चुनें। लैंग्वेज का चुनाव करने के बाद फोन का इंटरफेस उसी लैंग्वेज में बदल जाएगा।
सॉफ्टवेयर अपडेट को कैसे चेक करें:
एक फीचर फोन होने के बावजूद जियो फोन में कुछ स्मार्ट मॉर्डन फीचर्स को शामिल किया गया है। हालांकि, फोन में मौजूद कुछ फीचर काम नहीं करते इसमें डिजिटल पेमेंट शामिल है। अगर आप फोन में आए नए सॉफ्टवेयर अपडेट के बारे में जानना चाहते हैं तो इसके लिए सेटिंग एप में जाएं। यहां डिवाइस टैब को सेलेक्ट करें। अब डिवाइस इंफॉर्मेशन को चुनें और नीचे स्क्रॉल कर LYF Software Update में जाएं। यहां पर आपको ओटीए अपडेट के बारे में जानकारी मिलेगी।

150 साल का समय लगा था इस शिव मंदिर को तैयार होने में...जानें मंदिर की और भी खास बातें...

कैलाश मंदिर संसार में अपने ढंग का अनूठा वास्तु जिसे मालखेड स्थित राष्ट्रकूट वंश के नरेश कृष्ण (प्रथम) (760-753 ई.) ने निमित्त कराया था। यह एलोरा जिला औरंगाबाद स्थित लयण-श्रृंखला में है। एलोरा की 34 गुफाओं में सबसे अदभुत है कैलाश मंदिर। विशाल कैलाश मंदिर देखने में जितना खूबसूरत है उससे ज्यादा खूबसूरत है इस मंदिर में किया गया काम। कैलाश मंदिर की खास बात यह है कि इसे इस विशालकाय मंदिर को तैयार करने में करीब 150 साल लगे और करीब 7000 मजदूरों ने लगातार इस पर काम किया। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में खास बातें।


कहां है कैलाश मंदिर
एलोरा का कैलाश मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में प्रसिद्ध एलोरा की गुफाओं में स्थित है। यह एलोरा के 16वीं गुफा की शोभा बढ़ा रही है। इसका काम कृष्णा प्रथम के शासनकाल में पूरा हुआ। कैलाश मंदिर में अति विशाल शिवलिंग देखा जा सकता है।

भगवान शिव को समर्पित है मंदिर
कैलाश मंदिर को हिमालय के कैलाश का रूप देने का भरपूर प्रयास किया गया है। शिव का यह दो मंजिला मंदिर पर्वत चट्टानों को काटकर बनाया है। यह मंदिर दुनिया भर में एक ही पत्थर की शिला से बनी हुई सबसे बड़ी मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है।

कैसे बना है ये मंदिर
90 फीट है इस अनूठे मंदिर की ऊंचाई, 276 फीट लम्बा, 154 फीट चौड़ा है यह गुफा मंदिर। 150 साल लगे इस मंदिर के निर्माण में और दस पीढ़ियां लगीं। 7000 कामगारों ने लगातार काम करके तैयार किया है ये मंदिर।


आजतक इस मंदिर में कभी पूजा किए जाने का प्रमाण नहीं मिलता। आज भी इस मंदिर में कोई पुजारी नहीं है। कोई नियमित पूजा पाठ का कोई सिलसिला नहीं चलता।

पत्थर को काटकर बनाया था मंदिर
इसके निर्माण में करीब 40 हज़ार टन वजनी पत्थरों को काटकर 90 फुट ऊंचा मंदिर बनाया गया। इस मंदिर के आंगन के तीनों ओर कोठरियां हैं और सामने खुले मंडप में नंदी विराजमान है और उसके दोनों ओर विशालकाय हाथी और स्तंभ बने हैं।


नक्काशी है भव्य
एलोरा की गुफा-16 यानि कैलाश मंदिर सबसे बड़ी गुफा है, जिसमें सबसे ज्यादा खुदाई कार्य किया गया है। यहां के कैलाश मंदिर में विशाल और भव्‍य नक्काशी है। कैलाश मंदिर ‘विरुपाक्ष मंदिर’ से प्रेरित होकर राष्ट्रकूट वंश के शासन के दौरान बनाया गया था

चलिए जानें क्‍या होते हैं मूल नक्षत्र



सरल भाषा में समझें तो दो नक्षत्रों में अलगाव और जुड़ाव होता है मूल। 10 नवंबर की दोपहर 12बज कर 25 मिनट पर द्वंद मूल की शुरूआत हो गई है।
 शुरू हुए मूल 
10 नवंबर 2017 को दोपहर 12 बज 25 मिनट से द्वंदमूल की शुरूआत हो गई है और ये रविवार को 11 बज कर 32 मिनट तक रहेंगे। मूल नक्षत्र का स्वामी केतु है  और राशि स्वामी गुरु है। जब केतु गुरु धनु राशि में उच्च का होता है तो इसकी दशा 7 वर्ष की होती है। इस के बाद सर्वाधिक 20 वर्ष की दशा शुक्र की लगती है । जीवन में इन्ही दशाओं का महत्व अधिक होता है। यह दशा इनके जीवन में विद्या भाव को बढ़ाने वाली होती है और इसी दशा में बचपन से युवावस्था आती है। उपरोक्‍त अवधि में यदि कोई बच्‍चा जन्‍म लेता है तो उस शिशु का जन्‍म मूल नक्षत्र में होता है। 

अपने आप में शुभ अशुभ नहीं होते मूल 
पंडित दीपक पांडे की मानें तो मूल अपने आप में अशुभ नहीं होते उनका किन ग्रहों, राशियों या नक्षत्रों से योग होता है उसके अनुसार उनका प्रभाव निश्‍चित होता है। ज्योतिषशास्त्र में गण्डमूल नक्षत्र के अंतर्गत अश्विनी, रेवती, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल नक्षत्र को रखा गया है। अगर बच्चे का जन्म गण्डमूल नक्षत्र में हो तो एक महीने के अंदर जब भी वह नक्षत्र लौटकर आए तो उस दिन गण्डमूल नक्षत्र की शांति करा लेनी चाहिए। अन्यथा इसका अशुभ परिणाम हो सकता है। शतपथ ब्राह्मण और तैत्तिरीय ब्राह्मण नामक ग्रंथ में बताया गया है कुछ स्थितियों में यह दोष अपने आप समाप्त हो जाता है। इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले व्यक्ति खुद के लिए भाग्यशाली होता है। व्यक्ति का जन्म अगर वृष, सिंह, वृश्चिक अथवा कुंभ लग्न में हो तब मूल नक्षत्र में जन्म होने पर भी इसका अशुभ फल प्राप्त नहीं होता है।
राहु केतु का प्रभाव 
केतु एक छाया ग्रह है पुराणिक मतानुसार यह राहु का धड़ है, जबकि वैज्ञानिक दृष्टि से यह दक्षिणी ध्रुव का कोना है। यह धनु राशि में उच्च, मिथुन में नीच का, मीन में स्वराशिस्थ और कन्या में शत्रु राशिस्थ होता है। केतु स्वतंत्र फल देने में सक्षम नहीं होता यह जिसके साथ होगा वैसा परिणाम देगा। धनु में केतु व गुरु भी साथ हो या मीन राशि में या कर्क में उच्च का हो तो उसके प्रभाव को दुगना कर जहाँ भी स्थित होगा उत्तम परिणाम देगा। इसमें जन्‍म लेने वाला जातक ईमानदार लेकिन जिद्दी स्वभाव का होगा। ये लोग वकील, जज, बैंक कर्मी, प्रशासनिक सेवाओं में, कपड़ा व्यापार, किराना आदि के क्षेत्र में सफल होते हैं।


Saturday, 4 November 2017

#Whatsappdown क्‍या हुआ लोगों ने बट्टी लगाकर इसकी कर डाली धुलाई, खुद देखिए


दुनिया भर में सबसे ज्‍यादा पॉपुलर सोशल मैसेजिंग ऐप Whatsapp आज 3 नवंबर को कई घंटों के लिए बंद हो गया। व्‍हाट्सऐप नेटवर्क के काम न करने से यूके और इंडिया समेत तमाम देशों में लोग बिलबिला उठे। दिन के ज्‍यादातर वक्‍त व्‍हाट्सऐप में ही घुसे रहने वाले लोगों की यह डिजिटल दर्द टि्वटर पर रायते की फैल गया। लोगों ने यहां व्‍हाट्सऐप को लेकर जमकर भड़ास निकाली। भले ही अब व्‍हाट्सऐप अब नॉर्मल हो गया है, लेकिन #Whatsappdown हैशटैग की लिस्‍ट में सोशल जिंदगी की कई मजेदार सच्‍चाईयां आज देखने को मिलीं। आप भी देख लीजिए, फिर मौका मिले न मिले।

1-   व्‍हाट्सऐप न चलने से तमाम मोबाइल प्रेमी लोगों की दिलों की धड़कनें तब धीमी होने लगीं, जब काफी देर तक उन्‍हें कोई व्‍हाट्सऐप मैसेज रिसीव नहीं हुआ।

2-   तिथि ने कहा कि आजकल हमारी लाइफ सोशल मीडिया के चारो ओर ही घूम रही है। कभी तो आराम कर लो, यही सोचकर आज शायद #Whatsappdown हो गया है।

3-   कुछ लोगों ने तो गजब ही कर दिया, मोबाइल फोन के मामले मे अनाड़ी अपनी चाची, मौसी से Whatsapp चलाने के नाम पर 500 – 500 रुपए वसूल लिए।

4-   शनि देव या बजरंगबली के नाम की धमकी वाले मैसेज 10 लोगों को न भेज पाने के कारण कुछ लोग तो निपट ही गए होंगे, ऐसा कहना है सौरमंडल के इस अनोखे जर्नलिस्‍ट का।

5-   इन जनाब ने उन पीड़ित लोगों के लिए 2 मिनट के मौन की अपील की है, जिन्‍होंने Whatsapp न चलने पर अनइंस्‍टॉल और फिर इंस्‍टॉल कर डाला। फिर भी नहीं चला तो वो कई कई बार फोन को रिस्‍टार्ट करने में जुटे रहे।



6-   इन्‍होंने Whatsappडाउन को बड़ा वाला थैंक्‍स बोला, क्‍योंकि उसके न चलने के कारण तमाम लोग अपने परिवार वालों से काफी दिनों बाद फेस टू फेस मिले और फूट फूटकर रोए। वैसे ये खुशी के आंसू बार बार नहीं आते, क्‍यों आपको कुछ कहना है।

7-   गुडमॉर्निंग और गुडनाइट वाले फर्जी मैसेजेस से आजिज इस इंसान ने तमाम लोगों के मुंह की बात छीन ली है।

8-   मेघा ने कमाल का लॉजिक दिया है, लेकिन Whatsapp को प्‍यार करने वाला कोई भी यूजर उनकी बात को सीरियसली नहीं लेगा।

9-   जुनैद Whatsapp बंद होने पर काफी दिनों बाद अपनी फैमिली से मिले और उन्‍हें शायद पहली बार महसूस हुआ वो वाकई अच्‍छे लोग हैं।


आज ही शिवजी बने थे त्रिपुरारी, जानें कार्तिक पूर्णिमा का महत्‍व

कार्ति‍क पूर्णि‍मा का गुरु नानक जी के जन्म के अलावा भी महत्‍व है। यह द‍िन भगवान श‍िव के एक अवतार से भी जुड़ा है। आइए जानें इस द‍ि‍न का महत्‍व...

शि‍व जी को त्रिपुरारी नाम द‍िया गया ह‍िंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा को गुरू नानक देवजी के जन्‍मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस द‍िन को प्रकाश पर्व के नाम से भी जानते हैं। वहीं इस द‍िन के और भी आध्‍यात्‍मि‍क रूप से महत्‍व हैं। पौराणिक कथाओं में इस बात का जि‍क्र म‍िलता है क‍ि इस द‍िन भगवान श‍िव को त्रिपुरारी नाम म‍िला था। जी हां एक बार त्रिपुरासुर नामक महाबलशाली का अत्‍याचार बहुत बढ़ा था। इस दौरान सभी देवतागणों ने भगवान श‍िव से व‍िनती की थी। इस पर श‍िव जी ने उस महाबलशाली असुर का अंत इसी दिन किया था। इसके बाद सभी देवताओं ने उन्‍हें त्रिपुरारी नाम द‍िया था।


व‍िष्‍णु जी ने ल‍िया था पहला अवतार
वहीं कार्तिक पूर्णिमा में भगवान विष्‍णु की भी पूजा होती है। शास्‍त्रों के मुताबि‍क इस द‍िन ही भगवान व‍िष्‍णु ने अपना पहला अवतार ल‍िया था। पहले अवतार में व‍िष्‍णु जी मत्‍स्‍य यानी मछली के रूप में प्रकट हुए थे। इसल‍िए इस द‍िन भगवान व‍िष्‍णु की पूजा-अर्चना की जाती है। इससे व‍िशेष फल मि‍लता है। इस का महत्‍व महाभारत काल से भी जुड़ा है। मान्‍यता है क‍ि इस दिन पांडवों ने महाभारत युद्ध में मारे गए अपनों की आत्मा की शांति के लिए गढ़मुक्तेश्वर में श्राद्ध कर्म कि‍या था। 


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