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दिवाली सिर्फ पूजा और आतिशबाजी के लिए नहीं होती। दिवाली की रात तांत्रिक लोग बड़ी-बड़ी तंत्र क्रियाएं करते हैं। दिवाली के पहले से तांत्रिक पगपायले की तलाश में जुट जाते हैं। एक रात के लिए पगपायले बच्चे को सौंपने के लिए तांत्रिक उनके माता-पिता को लाखों रुपए देने को भी तैयार हो जाते हैं। dainikbhaskar.com ने अध्यात्म और तंत्र के कुछ विशेषज्ञों से बात कर ये जानने की कोशिश की कि आखिर पगपायला क्या होता है ? उनकी पहचान क्या होती है ?और क्यों इनकी खातिर लाखों देने को तैयार रहते हैं तांत्रिक...
- इंदौर के संस्कृत कालेज के पूर्व प्राचार्य तथा वेद, शास्त्र और पुराण के विद्वान डॉ. विनायक पाण्डेय बताते हैं कि पगपायले आम लोगों से हटाकर होते हैं, इनमें प्रकृतिदत्त विलक्षणता होती है। आम तौर पर जन्म के समय मां के गर्भ से शिशु का सिर पहले बाहर आता है पर कुछ जन्म के समय कुछ शिशुओं का पैर पहले बाहर आता है फिर धड और आखरी में सिर। ऐसे बच्चों को तंत्र की भाषा में पगपायला कहा जाता है।
- अघोर तंत्र के कुछ तांत्रिक ये मानते हैं कि पगपायले बच्चे तंत्र क्रिया के लिए सबसे बेहतर माध्यम होते हैं। कुछ तांत्रिक इन्हें माध्यम बनाकर तंत्र के जरिये अज्ञात रहस्यों को खोजने का दावा करते हैं, लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है ये कहना मुश्किल है।
पगपायले के माध्यम से ढूंढते है खजाना, धन और लाटरी या सट्टे का नंबर
- सामान्य व्यक्ति किसी पगपायले को नहीं पहचान सकता। उसकी पहचान कोई तांत्रिक या आध्यात्मिक ऊंचाई पर पहुंचा व्यक्ति ही कर सकता है। ज्योतिष के कुछ विद्वान भी कई बार पत्रिका देखकर माता-पिता को ये बता देते हैं कि उनका बालक पगपायला है। अघोर तंत्र के तांत्रिक किसी पगपायले को देखते ही पहचान लेते हैं।
- ये लोग ये मानते हैं कि पगपायले पर उच्चाटन, मोहन और वशीकरण किया जाए तो वो ऐसी स्थिति में पहुंच जाता है जहां से उसे सब कुछ नज़र आने लगता है। तंत्र प्रयोग कर तांत्रिक उसके माध्यम से छुपा हुआ खजाना, खोई हुई वस्तुएं, यहां तक कि लाटरी या सट्टे का नंबर पता करने का भी दावा करते हैं।
- कई लोग इस लालच में आकर अपने बच्चे इनको सौंप देते हैं। यदि माता-पिता तैयार ना हो तो कुछ तांत्रिक दिवाली के दिन और रात के लिए पगपायले को उन्हें सौंपने के बदले लाखों रुपए देने को भी तैयार हो जाते हैं। कुछ मामले ऐसे भी सामने आए हैं, जब माता-पिता के तैयार ना होने पर तांत्रिक पगापायलों का अपहरण करके ले जाते हैं और दिवाली की रात तंत्र क्रिया के बाद छोड़ देते हैं।
विलक्षण प्रतिभा के धनी होते हैं पगपायले..
- डाॅ. पाण्डेय के अनुसार पगपायले सामान्य लोगों से अलग होते हैं। उनमे कुछ तरह की विलक्षणता होती है। उनकी चेतना का स्तर सामान्य लोगों से थोड़ा ऊंचा होता है। वो प्रकृति के करीब होते हैं। ऐसे लोगों में पूर्वाभास की क्षमता भी होती है कई बार इन्हें भविष्य में होने वाली घटनाओं का आभास हो जाता है। इनका मन बेहद संवेदनशील होता है।
- शास्त्रों के ज्ञाता डॉ. पाण्डेय कहते हैं कि वेद और शास्त्रों में इस तरह के प्रयोगों को बहुत निंदनीय बताया गया है। वैदिक विद्वान तो छोड़िए, अघोर तंत्र का सच्चा तांत्रिक भी इस तरह के प्रयोग नहीं करता।
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