Friday 17 November 2017

बदली सोच बनी प्रेरणा: नवजात बेटे को गोद देकर बेटी को अपनाया

हरियाणा में बेटियों के प्रति सोच मे बदलाव आ रहा है। फतेहाबाद के किरढाना में एक दंपती ने बेटा पैदा होने पर उसे अन्‍य दंपती को गोद दे दिया और उनकी बेटी को अपना लिया।
फतेहाबाद [मणिकांत मयंक]। समाज वाकई बदल रहा है। इसके साथ बदल रही है लोगों की सोच और बेटियों के प्रति नजरिया। वह भी ऐसे समाज के लोगों का, जहां बेटों की चाह में बेटियों को कोख में ही मार दिया जाता है। इस माहौल के बीच सोच में बदालाव की रोशनी भी दिख रही है। एेसी की नई सोच के प्रतिनिधि हैं जिले के किरढान गांव के अनूप सिंह और उनकी पत्‍‍नी सीता। दोनों ने अपने नवजात बेटे को किसी और दंपती को गाेद दे दिया और उनकी बेटी को गोद ले लिया।

इस दंपती ने बेटी की चाह में दूसरे बच्चे को जन्म देने का फैसला लिया। ले‍किन, इस बार भी बेटा ही पैदा हुआ। इसके बाद इस दंपती ने मिसाल कायम करते हुए अपने नवजात बेटे के बदले बेटी गोद ले ली। उनका बेटा जिनकी गोद में गया है, उनकी भी चाहत पूरी हो गई। दूसरा परिवार हिसार के गांव किशनगढ़ का रहने वाला है।
दोनों परिवार एक ही समाज से हैं, लेकिन आपस में पहले से कोई रिश्तेदारी व जान-पहचान नहीं थी। अस्पताल में ही दोनों परिवारों का परिचय हुआ। मगर आज दोनों परिवारों के बीच कोई गहरा रिश्ता कायम हो गया है।
हुआ यूं कि भट्टूकलां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में गांव किशनगढ़ (हिसार) निवासी भूप सिंह की पत्नी रेनू को डिलीवरी के लिए लाया गया था।
दोनों के पहले से तीन बेटियां हैं। उनकी हसरत थी कि बेटियों का एक भाई हो। ले‍किन,11 नवंबर को डिलीवरी हुई तो घर में लक्ष्मी आई। अगले दिन महिला को अस्पताल से छुट्टी भी मिल गई। इसके दो दिन बाद 14 नवंबर को किरढ़ान निवासी अनूप सिंह की पत्‍नी सीता  ने बेटे को जन्म दिया। हालांकि परिवार की इच्छा बेटी की थी।
सीता के ससुर लालचंद ने बताया कि उसके लड़की नहीं हुई थी, इसलिए चाह थी कि उसके घर पोती जन्म ले। इसी बीच उन्हें पता चला कि किशनगढ़ के एक दंपती को बेटे की चाहत थी अौर उनके बेटी पैदा हो गई। बस, यहीं से उनके मन में एक विचार आया। इसके बाद अनूप सिंह के परिवार ने भूप सिंह से संपर्क किया। अनूप में भूप के समक्ष प्रस्‍ताव रखा कि वह उनके बेटे को गोद ले ले और अपनी बेटी उसे गोद दे दी। दोनों में इस पर सहमति बन गई। अनूप ने भूप सिंह की लड़की गोद ले ली और अपना नवजात बेटा भूप को गोद दे दिया।
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कानूनी प्रक्रिया बाद में पूरी करेंगे
हालांकि स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में सीता को लड़का व रेनू को लड़की पैदा होने की बात दर्ज है और इनका आधार कार्ड भी यही बनेगा। गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया बाद में पूरी की जाएगी। लालचंद कहते हैं कि बेटियों के बिना आंगन ही सूना नजर आता है।
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कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी होगी : एडॉप्शन अफसर
एडॉप्शन अफसर पूनम बताती हैं कि बच्चा गोद लेने की एक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के तहत पहले तो सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) की वेबसाइट में पंजीकरण करवाना पड़ता है। फिर कोर्ट से विधिवत आदेश लेना पड़ता है। इस कोर्ट आर्डर को भी कारा की वेबसाइट पर डाउनलोड करना पड़ेगा। तब जाकर कारा से मंजूरी मिलेगी। इसमें बच्चों का भी कल्याण सन्निहित है।

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