Friday 17 November 2017

जानें, क्रिकेट के इन पुराने नियमों से शायद आप वाकिफ हो

हाल ही में आइसीसी ने क्रिकेट के कुछ नियमों में बदलाव किया है। आइसीसी क्रिकेट की लोकप्रियता को बढ़ाने और उसमें फैंस की दिलचस्पी बरकरार रखने के लिए थोड़े-थोड़े समय के बाद ऐसा करती रहती है। क्रिकेट के कुछ नियम तो ऐसे हैं। जिनके बदल जाने का बावजूद भी फैंस को वो याद हैं। चलिए जानते हैं ऐसे ही कुछ नियमों के बारे में।



6 दिन का टेस्ट मैच
सन 1980 से पहले टेस्ट मैच छह ही दिन के हुआ करते थे। पांच दिन मैच के और एक दिन रेस्ट का। लेकिन 1980 के बाद इस नियम को बदल दिया गया और रेस्ट डे को खत्म कर दिए जाने से टेस्ट मैच पांच दिनों का हो गया।

60-60 ओवर का वनडे मैच
वनडे क्रिकेट की शुरुआत 1971 में हुई। तब एकदिवसीय मैचों में एक पारी 60 ओवर की हुआ करती थी। लेकिन 1977 में इस नियम में बदलाव कर 60 ओवर की जगह 50 ओवर का कर दिया गया। पहला 50 ओवर (6 गेंद प्रति ओवर) का मैच पाकिस्तान और वेस्टइंडीज के बीच खेला गया था।

बाउंसर के नियमों में भी हुए बदलाव
वनडे क्रिकेट की शुरुआत में पहले एक ओवर में सिर्फ एक बाउंसर फेंकी जा सकती थी दूसरी बाउंसर को नो-बॉल करार दे दिया जाता था। लेकिन हाल ही में आइसीसी ने इसे बदलते हुए बाउंसर की संख्या बढ़ा दी है। यानी कि अब कोई भी गेंदबाज एक ओवर में दो बाउंसर फेंक सकता है।

बदला गेंदों के इस्तेमाल का भी अंदाज़
वनडे क्रिकेट में गेंदों को लेकर भी नियमों में बदलाव किए गए हैं। पहले भी वनडे क्रिकेट में दो ही गेंदों का प्रयोग किया जाता था। लेकिन उनका इस्तेमाल अलग तरह से किया जाता था। पहले शुरुआती 30 ओवर तक तो दो गेंदों का इस्तेमाल किया जाता था। आखिर के 20 ओवरों में किसी एक गेंद से मैच खेलना होता था। लेकिन अब ये नियम बदल गया है। वनडे क्रिकेट में अब दोनों साइड से अलग-अलग गेंदों से मैच खेला जाता है।

पॉवरप्ले का नियम भी बदला
पहले वनडे क्रिकेट में 15 ओवर तक सिर्फ दो ही खिलाड़ी 30 यार्ड के घेरे के बाहर रह सकते थे। 1996 विश्व कप में श्रीलंका के दोनों ओपनर रोमेश कालूविथार्ना और सनथ जयसूर्या ने इन 15 ओवरों का ऐसा फायदा उठाना शुरु किया कि क्रिकेट में पहले 15 ओवरों के मायने ही बदल गए। ये दोनों ही विरोधी टीमों पर मैच की शुरुआत से ही तेज-तर्रार हमले करने की रणनीति को दुनिया के सामने लाए और नतीज़ा ये हुआ कि श्रीलंका की टीम 1996 का विश्व कप भी जीत गई।
अब एकदिवसीय मैचों में तीन पॉवरप्ले होते हैं। पहला पॉवरप्ले 1-10 ओवर तक होता है जिसमें सिर्फ दो खिलाड़ी ही 30 यार्ड सर्किल से बाहर होते हैं। दूसरा पॉवरप्ले 11-40 ओवर तक, इसमें 4 खिलाड़ी 30 यार्ड सर्किल से बाहर होते हैं। तीसरा पॉवरप्ले 41-50 ओवर का होता है। इसमें 30 यार्ड सर्किल के बाहर 5 फील्डर रख सकते हैं।

टी-20 का ये यादगार नियम भी गया बदल
टी-20 क्रिकेट तो रोमांच से भरपूर है और आइसीसी ने इसे और रोमांचक बनाने के लिए इसमें भी बदलाव कर दिए हैं। 2007 टी-20 विश्व कप में भारत और पाकिस्तान का मैच टाई होने के बाद दुनिया ने पहली बार वो कमाल देखा जब मैच टाई होने के बाद भी मैच का निर्णय निकल गया और ये रिजल्ट निकला बॉल आउट से। बॉल आउट में एक टीम को विकेट हिट करने के लिए पांच मौके दिए जाते थे और पिच पर गेंदबाज़ तो गेंद फेंकता था लेकिन कोई बल्लेबाज़ वहां पर नहीं होता था और गेंदबाज़ को सिर्फ विकेट चटकानी होती थी। जो भी टीम स्टंप्स को ज़्यादा पर हिट करती वो मैच की विजेता बन जाती।
लेकिन आइसीसी ने क्रिकेट के इस सबसे छोटे फॉर्मंट को और भी ज़्यादा मजेदार बनाने के लिए इसमें भी बदलाव कर दिया है। अब मैच टाई होने के बाद सुपर ओवर से मैच का निर्णय निकाला जाता है।

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